नई दिल्ली । तेल की आसमान छू रही कीमतों के बीच बुधवार को दिल्ली में मोदी सरकार की कैबिनेट बैठक हुई। इस दौरान मंत्रियों ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान बायोफ्यूल के मुद्दे पर चर्चा हुई लेकिन मौजूदा समय में देश में सबसे गर्म मुद्दे यानी पेट्रोल कीमतों को लेकर इस बैठक में कोई बात नहीं हुई। हालांकि बाद में जब पेट्रोलियम मंत्री से इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने भी इस बारे में कोई बात करने से मना कर दिया। बैठक के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साफ किया कि यह बैठक कई अन्य मुद्दों को लेकर बुलाई गई थी, तेल के मुद्दे को लेकर नहीं। हालांकि इससे पहले खुद पेट्रोलियम मंत्री ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों से तेल की कीमतों पर लगने वाले वैट में कटौती कर लोगों को राहत देने के लिए कहा था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी
असल में बुधवार को मोदी कैबिनेट के मंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई थी। बैठक के बाहर निकलने के बाद जब पेट्रोलियम मंत्री से तेल की कीमतों को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कुछ कहने से मना कर दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि यह बैठक कुछ अन्य मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी न कि पेट्रोल डीजल को लेकर। हालांकि धर्मेंद्र प्रधान ने कैबिनेट के उस फैसले की जानकारी जरूर दी, जिसमें एथनॉल के दाम में बढ़ोतरी की गई है। जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार ने बुधवार को एथनॉल की कीमतों में 25 फीसदी बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है, जिससे चीनी मिलों को फायदा मिलेगा।
वादे के अनुसार नहीं हुआ तेल का उत्पादन
असल में तेल के मुद्दे पर मोदी सरकार पहले ही अपना रुख साफ करते हुए कह चुकी है कि तेल की कीमतों को नियंत्रण में करना उनके हाथ में नहीं है। रविशंकर प्रसाद ने गत दिनों दिए अपने बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी गतिरोध के चलते कीमतों में उछाल जारी है। हालांकि इस सब के दौरान पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान तेल की बढ़ती कीमतों पर अपनी चिंता जता चुके हैं। पिछले दिनों तो उन्होंने राज्यों से वैट की दरों में कटौती कर लोगों को राहत देने की बात कही थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बता दें कि मौजूदा समय में तेल की कीमतों को लेकर मची माथापच्ची का कारण ओपेक देशों द्वारा वायदे के अनुसार तेल का उत्पादन नहीं करना है, जिसके चलते मांग बढ़ गई है और कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ने का कारण भी यही है।
अमेरिकी नीतियां भी जिम्मेदार
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के लिए अमेरिका की नीतियां भी जिम्मेदार कही जा रही हैं। खुद धर्मेद्र प्रधान कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का ढीकरा उनके सिर मढ़ चुके हैं। उनका कहना है कि अमेरिका की नीतियों के कारण दुनियाभर में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करेंसी की कीमतें गिर रही हैं। भारत की करेंसी भी प्रभावित हुई है और तेल की कीमत असामान्य रूप से बढ़ी हैं।