नई दिल्ली। अब सरकारी कंपनियों के साथ निजी कंपनियां भी भारतीय सेना के लिए हथियार बना सकेंगी। रक्षा मंत्रालय ने हथियार निर्माण के नियमों में बदलाव कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस बदलाव के बाद विदेशी कंपनियों से टेक्नोलाॅजी ट्रांसफर के बाद कंपनियों को चुनने की आजादी रहेगी। खबरों के अनुसार सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले से सरकारी कंपनियों को ज्यादा नुकसान होने की उम्मीद है क्योंकि कंपनियों को पहले इन सरकारी कंपनियों के साथ ही हथियारों के निर्माण का करार करना पड़ता था।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के द्वारा सितंबर में ही नियमों में बदलाव कर दिया था। रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इन नियमों में जो शर्तें तय की गई हैं उनमें कंपनी का संचालन भारतीय नागरिकों के पास होना चाहिए। इसके साथ उनको हथियार बनाने का कम से कम दो साल का अनुभव भी होना चाहिए। इसके साथ ही कंपनियों पर पहले से किसी तरह की रोक नहीं लगी हो। ऐसी कंपनियों का टर्नओवर प्रोजेक्ट की लागत का कम से कम 10 फीसदी होना चाहिए। इन कंपनियों के पास उस हथियार को बनाने का पहले से लाइसेंस भी होना चाहिए। इसके अलावा कंपनी की नेटवर्थ प्रोजेक्ट लागत का 5 फीसदी होना चाहिए।
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नियमों में बदलाव के बाद अब निजी कंपनियां भी राफेल जैसे लड़ाकू विमान बना सकते हैं। बड़ी बात यह है कि सरकार ने नियमों में इस बात को तरजीह दी है कि कंपनी का मालिक कोई भारतीय व्यक्ति ही होगा। इसके साथ ही उसकी कंपनी को हथियार निर्माण का अनुभव भी होना चाहिए।
यहां बता दें कि इससे पहले सरकारी कंपनी एचएएल, बीईएल और बीडीएल के साथ ही हथियार निर्माण करने वाली विदेशी कंपनियों को इनके साथ ही करार करना पड़ता था। अब नियमों में बदलाव के बाद कंपनियां निजी कंपनियों के साथ भी अपना करार कर सकते हैं।