जयपुर/ नई दिल्ली । फिल्म पद्मावत को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम राहत देते हुए पूरे देश में बिना बैन के रिलीज करने के आदेश दिए हो, लेकिन इस मामले में सियासत है कि थमने का नाम ही नहीं ले रही है। इस मुद्दे को लेकर विरोध करने वाली करणी सेना ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी मैदान में चुनौती देते हुए ऐलान कर दिया है कि भले ही शीर्ष अदालत ने बिना किसी बैन के देश के सभी राज्यों में इस फिल्म को रिलीज करने का आदेश दिया हो लेकिन सिनेमा मालिकों को हमसे पूछकर ही फिल्म लगानी होगी। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुकी है कि फिल्म पर बैन असंवैधानिक है और इस फिल्म को सिनेमाघरों में चलाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। कोर्ट ने राज्य सरकारों को कानून व्यवस्था संभालने को कहा है। हालांकि राष्ट्रीय करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी जाएगी।
करणी सेना ने फिर दी धमकी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 राज्यों में फिल्म पद्मावत पर लगे प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया है। इसके साथ ही फिल्म को सभी राज्यों में समान रूप से रिलीज करने के लिए कहा है। बावजूद इसके करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कलवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट फिल्म पर लगे बैन को हटा सकती है लेकिन सिनेमा हॉल मालिक हमसे पूछकर ही फिल्म चलाएंगे। उन्होंने दावा किया कि उनके पास राजस्थान के सिनेमा हॉल मालिकों का लिखित पत्र है, जिसमें उन्होंने भरोसा दिलाया था कि बिना उनकी अनुमति के वे अपने सिनेमाघरों में फिल्म नहीं लगाएंगे। इस दौरान कलवी ने दावा किया कि हर हाल में पद्मावत की स्क्रीनिंग रोकी जाएगी।
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वसुंधरा राजे सरकार की आपात बैठक
वहीं शीर्ष अदालत के फैसले के बाद राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने एक आपात बैठक बुलाई है। मीटिंग के दौरान पद्मावत पर सरकार के अगले कदम पर विचार किया गया। राजस्थान पहला राज्य है जिसने फिल्म के खिलाफ नोटिफिकेशन जारी किया था। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान सरकार ने कहा है कि हमारे पास भी कुछ संवैधानिक अधिकार हैं। गुरुवार को राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हम अफसरों के साथ बातचीत कर रहे हैं. जल्द ही इस बारे में हम कोई फैसला लेंगे।
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कोर्ट ने नहीं सुना हमारा पक्ष
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कहा, शीर्ष अदालत ने इस मामले में बिना हमारा पक्ष सुने अपने फैसला सुना दिया। हम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करने के बाद जहां भी संभव होगा वह इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।
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