नई दिल्लीः कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस में पहली लड़ाई हारने के बाद पाकिस्तान ने नई लीगल टीम बना ली है। यह टीम न केवल आईसीजे में जाधव मामले पर पाकिस्तान का पक्ष रखेगी, बल्कि कश्मीर मुद्दे को भी उछालेगी। बता दें कि आईसीजे ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है। इसके बाद से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। पाकिस्तान की आर्मी कोर्ट के फैसले के खिलाफ आईसीजे की ओर से जाधव की फांसी पर रोक लगाने के बाद से पाकिस्तान सरकार मीडिया और विपक्ष के निशाने पर है।
पूर्व सीजेआई से लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता तक शामिल
पाक इस बार कोई पैंतरा नहीं छोड़ना चाहता है। नई लीगल टीम में आईसीजे के एडहॉक जज को भी शामिल किया जा रहा है। कानूनी विशेषज्ञों ने नई लीगल टीम में जिनको शामिल करने का सुझाव दिया है उनमें प्रमुख हैं पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तस्सदुक हुसैन जिलानी, यूएन मानवाधिकार काउंसिल एडवाइडरी कमेटी के सदस्य अहमीर बिलाल सूफी और आईसीजे के पूर्व न्यायाधीश ब्रूनो सिम्मा (जर्मन जूरिस्ट)। पाकिस्तान ने सिंधु जल समझौते किशन गंगा मध्यस्थता के लिए सिम्मा को मध्यस्थ भी बनाया था। पाकिस्तान विदेशी वकीलों को भी हायर करने की कोशिश में है।
अन्य विवादित मुद्दों को भी बनाया रणनीति का हिस्सा
आईसीजे के फैसले से हताश पाकिस्तान सरकार अब जाधव मसले की पैरवी के लिए मजबूत लीगल टीम बनाने में जुट गई है। पाकिस्तानी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की इस लीगल टीम का मकसद सिर्फ जाधव मामले की पैरवी करना ही नहीं, बल्कि कश्मीर, सिंधु जल समझौता, एलओसी और मानवाधिकारों उल्लंघन मामले को भी उठाना है। यह लीगल टीम कश्मीर, सिंधु जल समझौता, एलओसी और मानवाधिकारों के मुद्दे पर भारत को घेरने की कोशिश करेगी।