लाहौर । पाकिस्तान सरकार को लाहौर हाई कोर्ट ने आगाह किया है कि अगर वे मुंबई आतंकवादी हमले के कथित सरगना हाफिज सईद के खिलाफ सबूत नहीं देती तो उसकी नजरबंदी रद्द कर दी जाएगी। जमात उद-दावा का प्रमुख सईद 31 जनवरी 2017 से ही नजरबंद है, हालांकि यह नजरबंदी नाम मात्र की है। लाहौर हाई कोर्ट ने हाफिज सईद की हिरासत के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह सचिव को निर्देश दिए कि वह सईद की हिरासत से संबंधित मामले के पूरे रिकार्ड के साथ कोर्ट में पेश हों. लेकिन वह पेश नहीं हुए।
जानकारी के अनुसार, जस्जिस सैयद मजहर अली अकबर नकवी हाफिज सईद की नजरबंदी के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हिए कहा कि सरकार का बर्ताव दिखाता है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। अगर सरकार जल्द ही उसके खिलाफ मुंबई ब्लास्ट से संबंधित मामले में कोई ठोस सबूत नहीं पेश करेंगी तो उसकी हिरासत रद्द कर दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि महज मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर किसी नागरिक को लंबे समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
जस्टिस नकवी ने अफसोस जताया कि एक सरकारी शख्सियत के बचाव के लिए अफसरों की फौज दी गई है लेकिन अदालत की मदद के लिए एक भी अधिकारी उपलब्ध नहीं है। बता दें कि अमेरिकी सख्ती और भारत के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान सरकार ने जमाद उद दावा चीफ को नजरबंद कर दिया गया था। इसके बाद से हालांकि उसके कई बैठकों को संबोधित करने और वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए अपने आतंकी गुट के लोगों से जुड़े रहने की खबरें आती रहीं , लेकिन एक याचिका के लाहौर हाईकोर्ट में दाखिल होने के बाद अब कोर्ट ने सरकार से उसके मुंबई हमले में शामिल होने के सबूत मांगे हैं।
इस सब में पाकिस्तान सरकार के लिए पशोपेश की स्थिति यह है कि अगर वह भारत द्वारा पेश किए गए सबूतों को कोर्ट के सामने रखती है तो उससे साबित हो जाएगा कि पाकिस्तान सरकार सईद के मुंबई हमलों में शामिल होने के लिए भारत सरकार द्वारा पेश किए गए सबूतों को सही मानती है, अगर पेश नहीं करती तो सरकार ने सईद को देश के लिए सिरदर्द करार दिया है, ऐसे में सरकार के लिए आने वाले दिनों में वह सिरदर्द बन सकता है।