नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने मृत्युदंड के लिए दी जाने वाली फांसी की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वकील रिषी मल्होत्रा ने याचिका दायर कर कहा था कि मृत्युदंड के लिए फांसी देना एक बेहद क्रूर तरीका है इसलिए इसका कोई विकल्प तलाशा जाए। इसमें अलग-अलग कानून के लिए अलग व्यवस्था का हवाला भी दिया गया है।
अमानवीय तरीका
गौरतलब है कि मृत्युदंड की सजा पाने वाले व्यक्ति को फांसी की सजा देने को अमानवीय और बेहद क्रूर तरीका बताया गया है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता रिषी मल्होत्रा ने कहा कि आर्मी,नेवी और एयरफोर्स एक्ट में मृत्युदंड में दो विकल्प होते हैं। फांसी या गोली मारना, जबकि आइपीसी और सीआरपीसी में सिर्फ फांसी का प्रावधान है। सेना में न्यायाधीशों को विवेकाधिकार होता है जबकि यहां ऐसा नहीं होता है। अलग-अलग कानूनों के लिए अलग व्यवस्था अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। रिषी मल्होत्रा ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि मृत्युदंड में फांसी देने के बजाय कोई और विकल्प तलाशा जाए।
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सीआरपीसी की धारा को रद्द करने की मांग
आपको बता दें कि रिषी मल्होत्रा ने कहा कि मृत्युदंड के लिए गोली मारने या इलेक्ट्रिक चेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में किया जाता है। मल्होत्रा ने सीआरपीसी की धारा 354(5)को रद्द करने की मांग की है जिसमें मरने तक फांसी पर लटकाए रखने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि ये मौत देने का सबसे क्रूर और अमानवीय तरीका है।