नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सदन को संबोधित करते हुए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया । उन्होंने कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज कसते हुए कहा कि आप अपनी लकीर बड़ी करने की चाहत में दूसरे की लकीर छोटी करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि 70 साल की बीमारियों का महज 5 साल में इलाज काफी कठिन था, लेकिन देश की जनता ने हमारे काम काज का अवलोकन करने के बाद ही हमें एक बार फिर से केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का मौका दिया है । देश में आपातका के बाद जनता ने लोकतंत्र के लिए वोट दिया है । इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि हमपर इलाज लगते हैं कि किसी को जेल में क्यों नहीं डालते, लेकिन हम कानून से चलने वाले लोग हैं। अब आपातकाल नहीं है, लोकतंत्र है और इसमें किसी को जमानत मिलती है तो वह एंज्वाय करे।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अपने भाषण में, हम भारत को कहां ले जाना चाहते हैं, कैसे ले जाना चाहते है और देश की सामान्य मानवी की आकांक्षाओं को हम कैसे पूरा करेंगे। उसका एक खाका खींचने का प्रयास किया है । इस दौरान पीएम मोदी ने 25 जून को देश में आपातलकाल लगाए जाने का उल्लेख करते हुए भी कांग्रेस पर जमकर तंज कसे । उन्होंने कहा कि - हमे सुनाने का हक उन्हीं को है , जिन्होंने किसी को स्वीकार किया हो। वरना इनके कार्यकाल में नरसिम्हा राव जी को भारत रत्न मिलता, मनमोहन सिंह जी को भारत रत्न मिलता, लेकिन ये परिवार से बाहर किसी के बारे में सोच ही नहीं सकते ।
मैं कुछ भी न बोलूं तो भी चलेगा
चर्चा के प्रारम्भ में पहली बार सदन में आए डॉ प्रताप सारंगी जी और आदिवासी समाज से आयी हमारी बहन हिना गावित जी ने जिस प्रकार से विषय को प्रस्तुत किया और जिस बारीकी से बातों को रखा, तो मैं समझता हूं कि मैं कुछ भी न बोलूं तो भी चलेगा। उन्होंने कहा - ये कोई जीत या हार का प्रश्न नहीं है। ये जीवन की उस आस्था का विषय है, जहां कमिटमेंट क्या होता, डेडिकेशन क्या है, जनता के लिए जीना-जूझना-खपना क्या होता है। और जब पांच साल की अविरत तपस्या का संतोष मिलता है तो वो एक अध्यात्म की अनुभूति करता है ।
हम दूसरों की लकीर छोटी नहीं करते
पीएम ने कहा - मैं चुनौती देता हूं कि 2004 से 2014 तक शासन में बैठे हुए लोगों ने कभी अटल जी की सरकार की तारीफ की हो । उनकी छोड़ों नरसिम्हा राव जी की सरकार की तारीफ की हो। इस सदन में बैठे हुए इन लोगों ने तो एक बार भी मनमोहन सिंह जी की सरकार का जिक्र तक नहीं किया, अगर किया हो तो बताएं। यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता, ऐसी गलती हम नहीं करते। हम दूसरे की लकीर छोटी करने में विश्वास नहीं करते, हम अपनी लकीर लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं ।
मनमोहन सिंह को भारत रत्न मिलता
मोदी ने कहा - मैं शायद पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने लाल किले से कहा हो कि देश और राज्य में आजादी से अब तक जितनी भी सरकारे हुईं उन सभी का देश को आगे ले जाने में योगदान है। इस सदन में पहले भी ये बात मैं कह चुका हूं और आज भी इस बात को दोहरा रहा हूं । हमे सुनाने का हक़ उन्हीं को है जिन्होंने किसी को स्वीकार किया हो। वरना इनके कार्यकाल में नरसिम्हा राव जी को भारत रत्न मिलता, मनमोहन सिंह जी को भारत रत्न मिलता, लेकिन ये परिवार से बाहर किसी के बारे में सोच ही नहीं सकते ।
काफी कठिनाइयों के बाद विकास की दिशा की ओर चले
पीएम मोदी ने इस दौरान कहा - राष्ट्रपति जी का अभिभाषण, देश के नागरिकों ने जिस आशा-आकांक्षाओं के साथ हमें इस सदन में भेजा है, उसकी एक तरह से प्रतिध्वनि है । उन्होंने कहा - मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि 70 साल से चली आ रही बीमारियों को दूर करने के लिए हमने सही दिशा पकड़ी और काफी कठिनाइयों के बाद भी उसी दिशा में चलते रहे। हम उस मकसद पर चलते रहे और ये देश दूध का दूध पानी का पानी कर सकता है ये सबने देखा ।
हर तराजू पर तौलने के बाद जनता ने हमें चुना
पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा - एक व्यक्ति के रुप में जीवन में इससे बड़ा कोई संतोष नहीं होता है, जब जनता जनार्दन आपके कार्यों को अनुमोदित करती है । 2019 का जनादेश पूरी तरह कसौटी पर कसने के बाद, हर तराजू पर तौलने के बाद, पल पल को जनता ने जांचा और परखा है और उसके आधार पर समझा है और तब जाकर फिर से हमे चुना है । कईं दशकों के बाद देश ने एक मजबूत जनादेश दिया है। एक सरकार को फिर से लाए हैं और पहले से ज्यादा शक्ति देकर लाए हैं । मैं इस चर्चा को सार्थक बनाने के लिए इसमें भाग लेने वाले सभी सांसदों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं ।