नई दिल्ली। असम में एनआरसी के ड्राफ्ट को लेकर देश भर में घमासान मचा हुआ है। विपक्षी दल इसे सरकार के गलत कदम के तौर पर देख रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा होने से देश में गृहयुद्ध हो सकता है। इन सभी बयानों के बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि एनआरसी के मुद्दे पर सवाल उठाना देशभक्ति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इससे बंगालियों और दूसरे राज्यों के लोगों के बीच दूरी बन जाएगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
गौरतलब है कि असम में एनआरसी के दूसरे ड्राफ्ट में करीब 40 लाख लोगों को अवैध बता दिया गया है। एनआरसी की वजह से असमियां और बंगालियों के बीच दूरी बढ़ने वाले सवाल को पूरी तरह से खारिज करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने देशहित में ही यह फैसला लिया है और आगे भी बिना किसी दवाब के फैसले लेने से पीछे नहीं हटेगी।
ये भी पढ़ें - कूड़ा निस्तारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एलजी को लगाई फटकार, कहा-क्यों न लोग आपके घर के आगे फें...
यहां बता दें कि गृहमंत्री ने कहा कि एनआरसी का गठन 1951 में ही हो गया था लेकिन सिर्फ वोटों की राजनीति की वजह से इसे लागू नहीं किया गया। 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने असम आंदोलन को देखते हुए बड़ा फैसला लेते हुए एनआरसी कराने के लिए असम एकाॅर्ड पर दस्तखत किए थे। तब से लेकर 2005 में भी डाॅक्टर मनमोहन सिंह की सरकार ने भी इस पर सहमति जताई थी लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया।
असमियां और बंगालियों के बीच दूरियां बढ़ने को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि बंगालियों का भी देशहित को लेकर वही नजरिया है जो कि दूसरे राज्यों के लोगांे का है। राजनाथ सिंह ने एक बार इसे दोहराया कि यह सिर्फ ड्राफ्ट है कोई अंतिम सूची नहीं है जो भी पात्र होंगे उनका नाम नागरिकता सूची में जोड़ दिया जाएगा।
कश्मीर के हालात पर उन्होंने कहा कि अब वहां की स्थिति काफी नियंत्रण मंे है और रोज ही आतंकी मारे जा रहे हैं। पाकिस्तान में नई सरकार के गठन पर उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई सरकार अपने देश को आगे बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देगी।