जयपुर । भारतीय जनता पार्टी इन दिनों तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाने में जुटी है, लेकिन उनकी रणनीति का मुख्य आधार विपक्षी दलों को लेकर नहीं बल्कि इस समय अपने ही बागियों से निपटने को लेकर बन रही है। मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर के बाद इस समय राजस्थान में भाजपा को अपने ही बागियों से जूझना पड़ रहा है। असल में पिछले दिनों राजस्थान भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिसमें कई विधायकों के टिकट काटे गए, जिसके बाद पार्टी नेताओं ने बगावती सुर में अपनी ही सरकार को पार्टी को ललकारना शुरू कर दिया है। पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि बगावती नेताओं की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इस सब के मद्देनजर अब खबरे है कि भाजपा के आला पदाधिकारी इस मुद्दे को लेकर एक मंथन बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें टिकटों की दूसरी सूची जारी करने के पहले हालात पर काबू पाए जाने की रणनीति बनाई जाएगी।
कई मंत्रियों को नहीं दिए टिकट
इस सब से इतर वसुंधरा सरकार के कई दिग्गज नेताओं और सरकार में मंत्री रहे कई नेताओं को इस बार टिकट नहीं दिया गया है। इसमें जयपुर के मालवीय नगर से चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ , परिवहन मंत्री यूनुस खान देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवां , उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत को पहली सूची में टिकट नहीं मिला है। हालांकि अब इन्हें भी टिकट मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि ये लोग भी बागी रुख अपनाते हुए पार्टी से किनारा कर सकते हैं।
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मंत्री जी बोले- भाजपा को बर्बाद कर दूंगा
असल में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की जो पहली लिस्ट जारी की है, उसमें कई दिग्गज नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इसी कड़ी में एक नाम है वसुंधरा सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र गोयल का, जिन्हें इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। इससे गुस्साए सुरेंद्र गोयल और उनके समर्थकों ने भाजपा के झंड़े जलाने के साथ ही भाजपा मर्दाबाद के नारे लगाए । समर्थकों की नाराजगी देखते हुए मंत्री जी भी भड़क गए और बोले- जिस वटवृक्ष को मैंने अपने इलाके में लगाया अब मैं उसे बर्बाद कर दूंगा। मैं पार्टी के नेताओं की अक्ल ठिकाने लगाऊंगा। सुरेंद्र गोयल पांच बार से जैतारण सीट से विधायक हैं और अब उन्होंने चुनौती दी है कि वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे देंगे।
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नागौर विधायक ने पार्टी छोड़ी
इस क्रम में दूसरा नाम आता है नागौर से विधायक हबीबुर्रहमान का। पार्टी द्वारा विधायक का टिकट न दिए जाने से नाराज हबीबुर्रहमान ने पार्टी छोड़ दी है। हालांकि वह भी पिछली पांच बारी से पार्टी के टिकट पर विधायक रह चके हैं। अब ऐसा कहा जा रहा है कि वह कांग्रेस में जा सकते हैं।
पूर्व महासचिव धनकड़ का इस्तीफा
बात अगर पार्टी के नाराज नेताओं की करें तो इसमें अगला नाम है पार्टी के पूर्व महासचिव कुलदीप धनकड़ का । कुलदीप ने भी पार्टी पर उपेक्षित करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वह जयपुर ग्रामीण सीट से अपने टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अब ऐसे में वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे।
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विधायक चंद्रकांता मेघवाल का काटा टिकट
अब बात करते हैं कोटा की रामगंज मंडी सीट से विधायक चंद्रकांता मेघवाल का। इस बार पार्टी ने उनका भी टिकट काट दिया है। उनकी जगह इस बात इस सीट से मैदान में उतारा है संघ की पृष्ठभूमि वाले मदन दिलावर को। इससे चंद्रकांता खासी नाराज है और उन्होंने बागी तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि वह इस बात निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगी।
100 नए चेहरों को मौका
बता दें कि इस बार राजस्थान की 137 सीटों के लिए भाजपा ने एक सर्वे करवाया था। इनमें से 100 सीटों पर इस बार नए चेहरों को मौका दिए जाने की रणनीति बनाई गई है। पार्टी को इस सब के चलते बगावत का अंदेशा था , इसलिए अब नए चेहरों को मौका तो दिया जा रहा है लेकिन पहले की सूची में कई नए चेहरों के नाम भी काट दिए गए हैं।
बागियों से बचने की जुगत
बहरहाल, पार्टी ने कई दिग्गत नेताओं समेत मंत्रियों को इस बार टिकट की दौड़ से बाहर करते हुए नए चेहरों को मौका दिया है, लेकिन सत्ता विरोधी लहर के साथ बागियों की नाराजगी भाजपा के लिए भारी पड़ने वाली है। इस सब से निपटने के लिए भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। पिछले दिनों पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओँ ने जमकर हंगामा भी किया।