नई दिल्ली । देश के कई राज्यों में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन इन चुनावों को लेकर जहां भाजपा ने अपनी एक अलग ही रणनीति बनाई है, वहीं कांग्रेस भी इन चुनावों में अपनी वापसी के लिए रणनीति बनाने में जुटे हैं। इस सब के बीच आगामी चुनावों में पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी के बजाए एक नए नाम सुझाया गया है। हालांकि यह राय किसी राजनीतिक शख्सियत की नहीं बल्कि युवाओं के बीच खासे चर्चित और अंग्रेजी के युवा उपन्यासकार और स्तंभकार चेतन भगत ने दैनिक भास्कर में अपने एक लेख में दी है। अपने आर्टिकल में चेतन भगन ने कहा कि भले ही राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए हैं लेकिन यदि युवा नेता सचिन पायलट को पार्टी का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया जाए तो वह सर्वश्रेष्ठ विकल्प हो सकते हैं। 47 वर्षीय राहुल गांधी (47) की तुलना में 39 वर्षीय सचिन पायलट ज्यादा युवा नेता हैं। वह राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं और इस प्रदेश में उनका जनाधार है।
राहुल की तुलना में सचिन ज्यादा सहज
चेतन भगत के मुताबिक सचिन पायलट, आम लोगों से राहुल गांधी की तुलना में ज्यादा सहज ढंग से जुड़ पाते हैं। अगर उन्हें कांग्रेस अपनी ओर से आगे बढ़ाती हबै तो वह 'फ्रेश' फेस होंगे। इस तरह का फ्रेश चेहरा मीडिया, सोशल मीडिया और युवा वोटरों में अपील देता है। इन सबके बीच यदि कांग्रेस सचिन के नेतृत्व में राजस्थान में जीत जाती है तो यह उनके पक्ष में सबसे बड़ी बात होगी। इसके साथ ही यदि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में सचिन पायलट का समर्थन करते हैं तो उनका कद भी स्वाभाविक ढंग से बढ़ेगा। इस तरह राहुल और सचिन की जोड़ी कमाल कर सकती है।
राहुल निर्विवाद नेता, लेकिन मतदाताओं को आपत्तियां
चेतन भगत के मुताबिक यह सही है कि राहुल गांधी पार्टी के निर्विवाद नेता हैं लेकिन निष्पक्ष मतदाताओं में उनके नाम को लेकर बहुत आपत्तियां हैं। चुनाव में इस तरह के वोटरों की संख्या तकरीबन पांच फीसदी होती है, लेकन ये स्विंग वोटर इधर या उधर झुकने की वजह से किसी को भी झटका दे सकते हैं।
नए वोटरों पर रखनी होगी नजर
पहली बार वोट देने वालों या किसी दल के बारे में स्पष्ट राय नहीं रखने वाले नए वोटर कई लाख हैं। यहीं वो वोटर हैं जो इस बार किसी दल की नईया पार लगाएंगे। ये अतिरिक्त वोट ही सत्ता तक पहुंचाने में मददगार होते हैं। भाजपा ने इसी वजह से 2014 में तमाम विरोधों के बावजूद नरेंद्र मोदी को पीएम पद का प्रत्याशी बनाया क्योंकि वो ही इस वोटर को खींचने में सक्षम थे? इस लिहाज से ऐसे वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस को तत्काल प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा कर देनी चाहिए और इसके लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प सचिन पायलट हैं। इसके साथ ही पार्टी को तत्काल चुनावी मोड में आ जाना चाहिए।
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वैकल्पिक मॉडल पेश करें, भाजपा की आलोचना से काम नहीं बनेगा
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपना वैकल्पिक मॉडल पेश करना होगा। केवल भाजपा की आलोचना करने से काम नहीं चलेगा। सुस्त अर्थव्यवस्था और रोजगार पैदा नहीं कर पाने की मौजूदा सरकार की कमजोरियों पर प्रहार करना ठीक है लेकिन साथ ही यह भी बताना होगा कि अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए वह क्या करेंगे? रोजगार पैदा करने के लिए उनके पास क्या प्लान हैं? क्या वे जनप्रतिनिधियों द्वारा सांप्रदायिक बयान देने को अपराध घोषित करेंगे? क्या करप्शन को रोकने के लिए आरटीआई जैसे नए 'गेमचेंजर' प्लान उनके पास हैं?
हिंदी पट्टी में चुनावों से मिलेगा लाभ
बहरहाल बता दें कि मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए और पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्व के चलते आगामी लोकसभा चुनावों में भी भाजपा सत्ता में लौटती दिख रही है, लेकिन गुजरात विधानसभा चुनावों के नतीजों और राजस्थान उप चुनावों ने संकेत दिए हैं कि इस बात के स्पष्ट संकेत दिए हैं कि 2019 की राह पार्टी के लिए आसान नहीं होने जा रही है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह है कि पिछली बार बीजेपी ने यूपी, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार जैसे राज्यों की अधिकाधिक सीटें हासिल कर दिल्ली की गद्दी को हासिल करने में कामयाबी पाई थी। लेकिन इस साल के अंत तक हिंदी पट्टी के राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे बीजेपी शासित राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं। राजस्थान उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि इस बार इन राज्यों में बीजेपी की राह आसान नहीं होगी। इनके तत्काल बाद लोकसभा चुनाव होंगे, लिहाजा यदि इन विधानसभा चुनावों में बीजेपी को अपेक्षित नतीजे नहीं मिले तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा।
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