नई दिल्ली । दागी नेताओं के 'अच्छे दिन' जल्द ही खत्म होने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मोदी सरकार के उस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत सरकार ने सांसदों और विधायकों पर चल रहे आपराधिक मामलों के निपटारे के लिए एक साल तक 12 विशेष अदालत चलाने की बात कही थी। इस दौरान कोर्ट ने सरकार को दो महीने का समय दिया है कि वह इस तरह के दागी नेताओं पर लंबित मामलों की एक पूरी सूची बनाकर तैयारी कर लें। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार माननीयों पर चल रहे मुकदमों का निपटारा एक साल के भीतर होना चाहिए। इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून मंत्री की ओर से कोर्ट में हाल में हलफनामा दाखिल कर अपनी रणनीति बताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब इन विशेष अदालतों में करीब 1571 सांसदों-विधायकों के ऊपर चल रहे आपराधिक मुकदमों पर सुनवाई होगी।
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बता दें कि दागी मंत्रियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने दागी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। हालांकि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की मांग को खारिज करते हुए दागी नेताओं पर चुनाव लड़ने पर 6 साल का प्रतिबंध लगाने को कहा था।
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हालांकि पिछले दिनों गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में मतदान से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को करारा झटका दिया। कोर्ट ने ऐसे माननीयों के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई जल्द पूरी करने के लिए सरकार से जल्द से जल्द स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने का प्लान पेश करने को कहा था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि सरकार 6 हफ्ते के भीतर अपना ड्राफ्ट बनाकर कोर्ट में पेश करें। कोर्ट ने साफ किया था कि अपने ड्राफ्ट में सरकार फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या और समय की जानकारी भी अंकित करे ताकि किसी भी दागी जनप्रतिनिधि के खिलाफ दाखिल मुकदमे का निपटारा साल भर के भीतर हो।
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विदित हो कि हाल में एडीआर ने 4852 विधायकों और सांसदों के हलफनामे का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट पेश क थी, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। रिपोर्ट के मुताबिक 334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था। इतना ही नहीं जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं।
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रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं। वहां ऐसे माननीयों की संख्या 12 थी. दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिसा हैं।