नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कांग्रेस की उम्मीदों को झटका दिया। कांग्रेस की ओर से राज्यसभा चुनावों से पहले नोटा संबंधी अधिसूचना रद्द करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की ओर से देरी किए जाने पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने गुजरात कांग्रेस से पूछा जब चुनाव आयोग ने 2014 में अधिसूचना जारी की तो अब जाकर इस मामले में याचिका क्यों दायर कर रहे हैं। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग से भी सवाल जवाब किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद यह बात तो तय हो गई है कि गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों को लेकर होने वाले चुनावों में नोटा पर प्रतिबंध नहीं होगा।
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बता दें कि पिछले दिनों चुनाव आयोग ने गुजरात में राज्यसभा चुनावों से पहले इन चुनावों में भी नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) लागू होने की अधिसूचना जारी की थी। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए इसके खिलाफ बुधवार को एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। कोर्ट ने गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई तो की लेकिन चुनाव आयोग के इस फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने से मना कर दिया। इतना ही नहीं कोर्ट ने कांग्रेस से सवाल उठाए कि आखिर फैसला आने के इतने दिनों बाद उन्होंने मुद्दे पर कोर्ट का रुख क्यों किया।
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वहीं चुनाव आयोग ने इस फैसले को लेकर चुनाव आयोग से भी सवाल जवाब किए हैं। बहरहाल कोर्ट के इस फैसले के बाद गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों को लेकर होने वाले चुनावों में अब मतदाता नोटा का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। असल में कांग्रेस इसका विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि हाल में गुजरात कांग्रेस के 6 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बीच कांग्रेस को आशंका थी कि उनके कुछ और विधायक भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसके मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान ने अपने 44 विधायकों को बेंगलुरू के एक रिसॉर्टस में ठहराया हुआ है, जो राज्यसभा चुनाव के मतदान के दिन ही वापस अपने राज्य में लौटेंगे
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कांग्रेस को डर है कि नोटा के लागू होने से कहीं उनके विधायक क्रॉस वोटिंग कर कांग्रेस के उम्मीदवारों को हरवा न दें। हालांकि वहां से दो सीटों पर भाजपा का जीतना तय है, लेकिन एक सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल उम्मीदवार हैं, जिनकी सीट बचाने के लिए कांग्रेस एडी चोटी का जोर लगा रही है।
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