नई दिल्ली । दिल्ली पर एक बार फिर से सीलिंग का खतरा मंडरा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केजे राव की अध्यक्षता वाली मॉनिटरिंग कमेटी को एक बार फिर से सक्रिय होने के लिए कहा है। कोर्ट ने कमेटी को निर्देश देते हुए कहा कि वह इस बात का अवलोकन करें कि दिल्ली में किन किन स्थानों पर अवैध निर्माण हुए हैं। अगर ऐसा नजर आए तो जरूरी कार्रवाई भी करें। इस दौरान सामने आया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने लिखित फैसले में सील हो चुकी संपत्तियों को डिसील करने पर विचार का अधिकार राव की अध्यक्षता वाली मानीटरिंग कमेटी को दिया है। ऐसे में अब डिसील की अर्जी के लिए लोगों को ट्रिब्यूनल नहीं जाना होगा। ऐसे लोग इस कमेटी को ही अर्जी दे सकते हैं, जिसपर कमेटी विचार-विमर्श करेगी।
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बता दें कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीलिंग के मामलों को हाईकोर्ट, निचली अदालतों और निगम के ट्रिब्यूनल को भेजा था। कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि अगर कोई प्रभावित पक्ष हाईकोर्ट के आदेश से संतृष्ट नहीं होता, तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। इससे पहले 2006 में भी दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने बड़े पैमाने पर सीलिंग अभियान चलाया था। करीब सालभर तक चले इस अभियान में हजारों दुकानों को सील कर दिया गया था। बाद में नया मास्टर प्लान आने के बाद सीलिंग पर कुछ रोक लग पाई थी।
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7 दिसंबर को हुई सुनवाई में दिल्ली में अंधाधुंध अवैध निर्माण से परेशान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सीलिंग की कार्रवाई शुरू करने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण के कारण दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बदतर हो गई है। हल्की बारिश में भी हर जगह पानी भर जाता है। रिहायशी इकाइयों का व्यावसायिक इस्तेमाल जमकर हो रहा है।