नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न और तेजाब के हमले को लेकर गुरुवार को एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि पुरुष पीड़ितों को भी महिलाओं की तर्ज पर मुआवजा मिलेगा। यौन उत्पीड़न से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) कानून पर सुनवाई कर रहे विशेष जजों को सुप्रीम कोर्ट ने 2 अक्तूबर से यह व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया है। अदालत का कहना है कि इस मामले में विशेष अदालतों को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) की योजना का पालन करना चाहिए, क्योंकि पॉक्सो कानून जेंडर न्यूट्रल (लिंग समानता) पर आधारित है।
गौरतलब है कि न्यायामूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने कहा कि जब तक सरकार द्वारा नियम तय नहीं किए जाते हैं, पाॅक्सो मामले में विशेष अदालतों को यौन उत्पीड़न पीड़ितों को नाल्सा मुआवजा योजना का ही पालन करना चाहिए। इस तरह के मामलों में पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा दिलाने में परिस्थितियों को भी ध्यान रखना होगा।
ये भी पढ़ें - आतंकवाद पर जनरल रावत का बड़ा बयान, कहा- पाकिस्तान इसे खत्म करे तो हम भी ‘नीरज चोपड़ा’ बन जाएंगे
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को नाल्सा योजना को मंजूरी दी थी और इसे गांधी जयंति यानी की 2 अक्टूबर से लागू करने को कहा है। कोर्ट की पीठ ने अदालतों से कहा गया है कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के लिए दिए जाने वाले मुआवजे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है। बता दें कि याचिका में कहा गया था पीड़ित पुरुषों को इलाज का खर्चा और मुआवजा कुछ भी नहीं मिलता है।
नाल्सा योजना के तहत बलात्कार पीड़ित को कम से कम 4 लाख और तेजाब हमला पीड़ित को 7 लाख मुआवजा देने की बात है। वहीं, गैंगरेप के शिकार पीड़ित को न्यूनतम 5 लाख रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये देने का प्रावधान है। वहीं अप्राकृतिक यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को 4 से 7 लाख रुपये तक मुआवजा, तेजाब हमले से चेहरा बिगड़ने की स्थिति में 7 लाख से लेकर अधिकतम 8 लाख रुपये दिलाने का प्रावधान है।