लखनऊ । समाजवादी पार्टी के अध्य़क्ष अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यूपी में बसपा के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को उससे बाहर रखने के कारणों का खुलासा किया है। एक न्यूज एजेंसी को दिए अपने इंटरव्यू में अखिलेश यादव ने कहा कि इस बार हमने चुनावी अंकगणित को ठीक करने के लिए कांग्रेस को सपा-बसपा-रालोद वाले गठबंधन से बाहर रखा है। अखिलेश यादव ने कहा कि हमने अपने कार्यकाल में तमाम विकास कार्यों के बावजूद विधानसभा चुनावों में हार गए, क्योंकि हमारा चुनावी अंकगणित ठीक नहीं था। ऐसे में हमने इस बार लोकसभा चुनावों के मद्देनजर बसपा और रालोद को साथ लिया है। वहीं कांग्रेस के लिए 2 सीटें छोड़कर पिछले चुनावों में बिगड़े अंकगणित को अब ठीक कर लिया है।
बता दें कि अमूमन कहा यही जाता है कि जिस दल ने यूपी में जीत हासिल की , वह केंद्र की सत्ता के काफी करीब होता है। अमूमन वहीं केंद्र पर अपना कब्जा कर लेता है। इन धारणाओं को ध्यान में रखते हुए समाजवादी पार्टी ने बसपा के साथ अपने 24 साल पुराने मतभेदों को भुलाकर गठबंधन का न्ंयौता दिया। हालांकि विधानसभा में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने वाली अखिलेश की पार्टी इस बार कांग्रेस को अपने साथ क्यों नहीं रखना चाहती, जब इस मुद्दे पर सपा अध्यक्ष से सवाल पूछा गया तो उनकी प्रतिक्रिया सियासी समीकरणों को तोल कर दी।
उन्होंने कहा- पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था क्योंकि बसपा-सपा-कांग्रेस सब अकेले लड़ी थी। वहीं भाजपा को यूपी की 80 सीटों में से 71 सीटों पर सफलता मिली। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस दौरान बहुकोणीय मुलाबला हो गया था, जिसका लाभ भाजपा को मिला। हालांकि आज सियासी हालात बिल्कुल अलग हैं। भाजपा को रोकने के लिए हमने बसपा के साथ हाथ मिलाया है।
अखिलेश यादव ने कहा यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था , लेकिन गठबंधन में दोनों दलों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इससे पहले बसपा भी कांग्रेस के साथ 1996 में गठबंधन कर चुनाव लड़ चुकी है। इन चुनावों में बीएसपी का वोट तो कांग्रेस को मिला लेकिन कांग्रेस का वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं हुआ।
उन्होंने कहा- यूपी में विपक्षी दलों के एकजुट होने से भाजपा यह प्रचार करती कि सभी दल उसे हराने को जुटे हैं, भाजपा पहले से ही एसपी और कांग्रेस को मुस्लिमों की पार्टी बताती रही है। ऐसे में भाजपा द्वारा वोटों के ध्रुवीकरण का प्लान कामयाब हो जाता, जिसका फायदा भाजपा को ही मिलता। लेकिन अब यह साफ है कि कांग्रेस जहां भी लड़ेगी भाजपा का ही वोट काटेगी, न कि गठबंधन का. ।
बहरहाल, इससब से इतर कांग्रेस को इस गठबंधन से अलग रखने का एक कारण यह भी है कि उसके पास किसी विशेष जाति का वोटबैंक नहीं है। जबकि एसपी के पास यादव-मुस्लिम, बीएसपी के पास दलित-मुस्लिम और अजीत सिंह का पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट वोट पर प्रभाव है। कांग्रेस की समर्थक ज्यादातर अगड़ी जाति और शहरी मध्यम वर्ग है, जिन्हें फ्लोटिंग वोट कहा जा सकता है।