नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन कर देश में 'मोदी लहर' को थामने का प्रयास करने वाली समाजवादी पार्टी में अब कुछ ठीक नहीं चल रहा है । लोकसभा चुनावों के लिए यूपी में बसपा - रालोद के साथ गठबंधन कर सीटों का बंटवारा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अब खरी - खरी सुनने को मिल रही है । असल में इस बार के चुनावों में मुलायम परिवार के ही 3 सदस्य चुनाव हार गए हैं , जबकि गठबंधन का सहारा लेकर बहुजन समाज पार्टी शून्य से 10 के आंकड़े पर पहुंच गए हैं। इस पूरे हालात को लेकर अब मुलायम सिंह परिवार में जमकर तू तू-मैं मैं हो रही है । सूत्रों का कहना है कि परिवार के तीन लोगों की हार पर सपा नेता और अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव भड़क गए हैं। उन्होंने परिवार के तीनों लोगों की हार का ठीकरा अखिलेश यादव पर फोड़ते हुए चुनावों में सीट बंटवारा सही तरीके से नहीं किए जाने का आरोप लगाया है । इतना ही नहीं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने चुनावों में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है । हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि अगर यूपी में सपा-बसपा-रोलाद गठबंधन न होता तो संभवत अखिलेश और मुलायम सिंह भी चुनाव हार सकते थे।
स्मृति ईरानी ने दोहराय संकल्प , कहा- आगामी 5 सालों में अमेठी के हर गांव - गली की बदलेगी तस्वीर
डिंपल- अक्षय और धर्मेंद्र यादव चुनाव हारे
बता दें कि इस बार के लोकसभा चुनावों में यूपी की 80 सीटों में से उन्हें महज 5 सीटें मिली हैं। बसपा और रालोद के साथ यूपी में गठबंधन का खामियाजा कुछ इस तरह मुलायम सिंह परिवार के लोगों को भुगतना पड़ा कि परिवार के तीन सदस्य अपनी सीट गंवा बैठे । जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को कन्नौज सीट से हाल मिली , वहीं फिरोजाबाद सीट से अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय यादव और बदायूं सीट से एक अन्य चचेरे भाई धर्मेन्द्र यादव को अपनी-अपनी सीट गंवानी पड़ी इतना ही नहीं मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की जीत का अंतर 2014 के मुकाबले केवल एक-चौथाई रह गया । गठबंधन की पहल करने वाली सपा को जहां महज 5 सीटें मिली, वहीं रालोद अपनी तीनों सीटें हार गई, जो उनके दबदबे वाली सीटें थीं । जबकि मायावती को इस गठबंधन का लाभ हुआ और वह शून्य से 10 सीटें जीतने में कामयाब हुईं ।
NDA -2 : मोदी कैबिनेट में इन दिग्गजों को इस बार मिल सकता है मौका , बुधवार शाम तक लग जाएगी मुहर
सीट बंटवारे को लेकर आरोप-प्रत्यारोप
सूत्रों की मानें तो , चुनावों में परिवार के लोगों की हार पर अब गरितोध पैदा हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, वरिष्ठ सपा नेता और अखिलेश के चाचा रामगोपाल यादव ने सही तरीके से सीटों का बंटवारा न करने के लिए अखिलेश को जिम्मेदार ठहराया है । इतना ही नहीं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने चुनाव से पहले ही मायावती के साथ गठबंधन के अखिलेश के फैसले पर नाराजगी जाहिर की थी । विदित हो कि उस दौरान मुलायम सिंह ने कहा था कि मायावती को 38 सीट देने के साथ ही हम ये सीटें तो हार ही गए ।
MODI वाराणसी LIVE - इस बार के चुनावों में अंकगणित ने केमिस्ट्री को हराया , यूपी ने लोकतंत्र की नींव मजबूत की
अखिलेश को भी थे कुछ डर
इस सब के बीच राजनीति के जानकारों का कहना है कि यूपी विधानसभा चुनावों में आए चुनाव परिणामों के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अपनी पार्टी की स्थिति के बारे में पता था । उन्होंने चुनावों से पहले गठबंधन को लेकर किए जा रहे प्रयासों के दौरान कहा था कि अगर उन्हें बसपा को साथ लाने के लिए कुछ कदम पीछे भी हटना पड़ा तो वह तैयार हैं। अगर सपा बसपा के साथ लोकसभा चुनावों में गठबंधन नहीं करते तो संभवता अखिलेश और मुलायम सिंह तक अपनी सीट नहीं बचा पाते । इस बार मुलायम सिंह की मैनपुरी सीट पर जीत का कम अंतर इन आशंकाओं को पुष्ट भी करता है ।
उपचुनावों में जीत से उत्साहित थे
वहीं एक थ्योरी ये भी है कि यूपी में कैराना , गोरखपुर और फुलपुर सीटों पर हुए उपचुनावों में जिस तरह सपा-बसपा के गठबंधन को सफलता मिली थी , उससे सपा काफी उत्साहित थी । उपचुनावों में जीत का स्वाद चखने के बाद अखिलेश यादव को आशंका थी कि वह लोकसभा चुनावों में गठबंधन को बरकरार रखते हुए कुछ ऐसा ही चमत्कार कर सकते हैं।