नई दिल्ली । कांग्रेसी नेता और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल अयोध्या मामले की सुनवाई को लेकर अपनी मांग पर घिर गए हैं। भाजपा ने कपिल सिब्बल की मांग पर जहां कांग्रेस और सुन्नी वक्फ बोर्ड को घेरा है, वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपने वकील कपिल सिब्बल की सुप्रीम कोर्ट में दी दलीलों पर असहमति जताई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब ने कहा कि भले ही सिब्बल हमारे वकील हैं, लेकिन वह एक पार्टी के नेता भी हैं। सुनवाई टलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कल जो दलील दी, वह गलत थी। हम चाहते हैं कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान जल्द से जल्द हो। इस बीच पीएम मोदी समेत भाजपा के फायर ब्रांड नेताओं ने कांग्रेस पर अयोध्या मामला टालने का आरोप लगाते हुए कटाक्ष किए।
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जानिए क्या कहा था सिब्बल ने
बता दें कि अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। मामले के एक एक पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई को 2019 के आम चुनावों के बाद करने की मांग की थी। सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि मौजूदा माहौल सुनवाई के लिहाज से ठीक नहीं है। इसका राजनीतिक फायदा उठाया जा सकता है। देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के लिहाज से यह एक संवेदनशील मामला है और अदालत के बाहर इसका असर पड़ सकता है।
बोर्ड ने सिब्बल की बातों को खारिज किया
सिब्बल के इस बयान के बाद जहां कांग्रेस पर अयोध्या मामले की सुनवाई टालने के आरोप लगे वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी अपने वकील की बातों पर असमति जताई। बोर्ड बोर्ड के हाजी महबूब ने कहा कि भले ही कपिल सिब्बल कोर्ट में हमारे वकील के तौर पर गए थे लेकिन वह एक राजनीतिक पार्टी के नेता भी है। हम उनकी कोर्ट में दी गई दलीलों से इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कोर्ट में सुनवाई टालने के लिए जो दलीलें दीं, वह गलत थी। हम चाहते हैं कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान जल्द से जल्द हो।
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भाजपा ने खोला कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा
सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब के बयान के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर जमकर हल्ला बोल दिया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में है या नहीं। वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने सिब्बल पर कटाक्ष मारते हुए कहा कि कोर्ट में सिब्बल बनकर तो सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील गए थे लेकिन वहां जाकर बोली कांग्रेसियों की बोलने लगे। राहुल गांधी को राम मंदिर पर कांग्रेस पार्टी का रुख स्पष्ट करना चाहिए।
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इसी क्रम में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा कि सिब्बल को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह कानून मंत्री रहे हैं। इस बात से उनका क्या मतलब है कि 2019 तक अयोध्या मामले की सुनवाई नहीं होनी चाहिए क्योंकि अदालत के बाहर इसका असर पड़ सकता है? उनका यह बयान सरासर अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है।