नई दिल्ली । सरकार ने अगले 10 सालों में भारत को मलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन सरकार और देशवासियों के सामने एक नई चुनौती बनकर आ सकता है सुपर मलेरिया। इन दिनों दक्षिण एशियाई देशों में इस सुपर मलेरिया तेजी से फैल रहा है, जो वहां कि सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। ऐसे में आने वाले समय में इसका रुख भारत की ओर हो सकता है, जो भारत सरकार के लक्ष्य के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा।
बता दें कि सुपर मलेरिया से अभिप्राय मलेरिया फैलाने वाले एक मच्छरों (पैरासाइट) से है, जिनमें हाल के दौर में मौजूद दवाओं से लड़ने के लिए मजबूत प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो गई। हाल में बैंकाक स्थित ऑक्सफोर्ड ट्रॉपिकल मेडिसिन रिसर्च यूनिट के प्रोफेसर अर्जेन डॉनड्रोप ने लिखा है कि सुपर मलेरिया एक गंभीर खतरे के रूप नें बढ़ रहा है। यह सुपरबग देशों की मलेरिया के रोकथाम को लेकर की गई तैयारियों पर पानी फेर सकता है। प्रोफेसर ने आशंका जताई है कि अगर सुपर मलेरिया इसी तरह फैलता रहा तो एक दिन इसका उपचार करना तक मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि मौजूदा समय में इस रोकने के लिए कोई दवा नहीं है। ऐसे में सभी देशों को इस ओर गंभीरता से सोचना होगा और इसके रोकथाम के लिए अभी से अपनी रणनीतियां बनानी होंगी।
असल में इस सुपर मलेरिया के प्रमाण वर्ष 2007 में कंबोडिया में सबसे पहले पाए गए थे। उस दौरान इन्हें सुपरबग और सुपर मलेरिया नाम दिया गया था। आलम ये है कि इन सुपरबग से लड़ने के लिए जो दवाएं अभी मौजूद हैं, उनके बेअसर होने का प्रतिशत 60 से 90 फीसदी तक हो गया है। ऐसे में अगर जल्द ही कुछ नहीं किया गया तो ये सुपर मलेरिया घातक परिणाम लेकर आएगा।