नई दिल्ली । राज्यों के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनावों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दागी नेताओं को लेकर बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि सजा पाने वाले नेताओं पर चुनाव लड़ने से रोक लगनी चाहिए। इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि वह पहले से ही इसके पक्ष में है और राजनीतिक दलों को इसके बारे में लिख चुका है. इस पर कोर्ट ने पूछा कि बताएं कि आपने कब लिखकर दलों को दिया?
हालांकि इससे पहले कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आपराधिक आरापों का सामना कर रहे राजनीतिक लोगों के आंकड़ों को मांगा है, जिसमें कोर्ट ने एक अधिवक्ता से कहा कि वह इस बात के आंकड़े पेश करें कि क्या इनके खिलाफ मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिए निर्देशों पर प्रभावी अमल हो रहा है। पीठ ने इस जानकारी के माध्यम से जानना चाहा कि राजनीतिकों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी होती है तो क्या यह एक निर्णायक कदम होगा।
बता दें कि बुधवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फिर से उन नेताओं पर सवाल उठाए जिन पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। सजा पाने वाले नेताओं पर चुनाव लड़ने से रोक लगाने के सवाल पर जब चुनाव आयोग ने कहा कि वह पहले से ही इसके पक्ष में है और राजनीतिक दलों को इसके बारे में लिख चुका है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि बताएं कि आपने कब लिखकर दलों को दिया?
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस नवीन सिन्हा की दो सदस्यीय पीठ ने दोगी नेताओं की दर की जानकारी अधिवक्ता से मांगी है। कोर्ट ने कहा कि क्या इनके खिलाफ मुकदमों की सुनवाई एक साल में पूरा करने के लिए निर्देशों पर प्रभावी अमल हो रहा है। पीठ ने इस जानकारी के माध्यम से जानना चाहा कि राजनीतिकों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी होती है तो क्या यह एक निर्णायक कदम होगा।