नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड(जेएएल) को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड को 10 मई तक दो किश्तों में 200 करोड़ रुपये जमा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि रीयल स्टेट कंपनी को 6 अप्रैल तक 100 करोड़ रुपये जबकि बकाया 100 करोड़ रुपये 10 मई तक जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि अदालत को हजारों ग्राहकों की चिंता है। उनका कहना है कि जेपी एसोसिएट्स इन ग्राहकों के पैसों को लेकर बैठ नहीं सकता है।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि अदालत का मकसद उन सभी लोगों को फ्लैट दिलाना है जिन्होंने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई अपने सपनों का आशियाना खरीदने के लिए बिल्डर को दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने जेएएल से कहा कि वह रिफंड पाने के इच्छुक सभी मकान खरीददारों की परियोजना-दर-परियोजना चार्ट जमा करे ताकि उन्हें आनुपातिक आधार पर धन वापस किया जा सके। कोर्ट ने ये भी कहा कि रिफंड का विकल्प चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल स्टेट फर्म की ओर से कोई ईएमआई भुगतान डिफॉल्ट की नोटिस ना भेजी जाए।
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जेएएल ने कोर्ट को बताया कि उसे 2017-2018 में 13,500 फ्लैट के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले। जबकि 8 प्रतिशत मकान खरीददारों ने रिफंड का विकल्प चुना है। आपको बता दें कि जेपी ने दो हजार करोड़ में से 550 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट अब मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को करेगा कि किस तरीके से ये रुपये खरीदारों को दिए जाएं।
गौरतलब है कि जेपी एसोसिएटस लिमिटेड मामले में पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि था कि जेएएल हलफनामा दाखिल कर बताए कि देशभर में उसके कितने हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स को उन खरीदारों के संबंध में चार्ट देने को कहा था, जो रिफंड चाहते हैं।