नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने केरल के बहुचर्चित 'लव जिहाद' के एक मामले में जांच की जिम्मेदारी NIA को सौंप दी है। इस जांच की निगरानी कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर वी रवीन्द्रन करेंगे । असल में कोर्ट इस मामले में जांच करेगी की कहीं इस लव जेहाद के मामले में पीछे किसी आतंकवादी संगठन का हाथ तो नहीं है। एनआईएन ने भी कोर्ट में कहा है कि ये केस अकेला नहीं लगता और इसका प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंध है।
बता दें कि केरल की 24 वर्षीया युवती अखिला अशोकन उर्फ हादिया ने धर्म परिवर्तन करके 26 वर्षीय मुस्लिम युवक शेफीन जहां से शादी की थी, जिसे केरल हाईकोर्ट ने 24 मई को निरस्त कर दिया था। इस मामले में एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने चीफ जस्टिस जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने दलील दी थी कि जांच एजेंसी का यह मानना है कि अखिला का धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम युवक से निकाह करना कथित ‘लव जिहाद’ से अलग घटना नहीं है। उन्होंने दलील दी कि ‘लव जिहाद’ के अन्य मामलों में भी ये लोग शामिल थे, जिन्होंने उन हिन्दू लड़कियों के धर्म परिवर्तन कराये जिनके अपने अभिभावकों से मतभेद थे।
वहीं इस मामले में केरल सरकार के वकील ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच एनआईए से कराना चाहती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में कथित ‘लव जिहाद’ के पहलुओं और शेफीन के आरोपों की जांच का आदेश एनआईए को दिया । पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले में कोई भी फैसला एनआईए की रिपोर्ट पर विचार करने, केरल पुलिस का पक्ष जानने तथा अखिला (धर्म परिवर्तन के बाद हादिया) से बात करने के बाद ही करेगी।
इस मामले में पहले पीठ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस के एस राधाकृष्णन को एनआईए जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपना चाहती थी लेकिन ऐसा हो न सका। शेफिन जहां की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह की आपत्तियों के बाद कोर्ट ने न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन को निगरानी का जिम्मा सौंपा। इन दोनों वकीलों ने आपत्ति जताते हुए दलील दी थी कि यह दो अलग-अलग धर्मों से जुड़ा मामला है और न्यायालय को जांच की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश के चयन में सावधानी बरतनी चाहिए।