नई दिल्ली। केरल में मौसम का रौद्र रूप थोड़ा शांत हुआ है। देश और विदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर अपना ध्यान बनाए रखा है। पहले यह कहा गया था के मुल्लापेरियार बांध के गेट खोलने की वजह से ही वहां भीषण बाढ़ की स्थिति पैदा हुई थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लापेरियार बांध में पानी का स्तर निर्धारित सीमा से कम रखने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह इसे तमिलनाडु और केरल दो राज्यों का मसला नहीं मान रहा है बल्कि आपदा प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी के बाद ऐसा करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह से ज्यादा समय तक केरल में हुई भारी बरसात के बाद वहां के बांधों मंे पानी भर गया था जिसके बाद मुल्लापेरियार समेत कई बांधों के गेट खेल दिए गए थे ताकि डैम में पानी का स्तर बनाए रखा जा सके। मुल्लापेरियार बांध का दरवाजा खोलने से पूरे राज्य में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। इसके बाद लाखों लोग बेघर हो गए जिन्हें सेना के जवानों ने सुरक्षित राहत शिविरों में पहुंचाया है।
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यहां बता दंे कि बारिश के रुकने के बाद अब वहां लोगों का पुनर्वास एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। पूरे देश के अलावा विदेशों से भी केरल की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए गए। शुरुआत में खबर आई थी कि यूएई सरकार के द्वारा 700 करोड़ रुपये की मदद देने का ऐलान किया गया है लेकिन भारत सरकार द्वारा विदेशी मदद लेने से इंकार करने के बाद यूएई ने कहा कि निगरानी समिति की बैठक में यह विचार किया गया था लेकिन इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है।
गौर करने वाली बात है कि केरल में फिलहाल रुक-रुककर बारिश हो रही है इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुल्लापेरियार डैम में पानी का स्तर निर्धारित स्तर से कम रखने के आदेश दिए हैं।