नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने कश्मीरी पंडितों को एक बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने साल 1889-90 में हुए पंडितों की हत्या मामले की दोबारा जांच कराने के लिए रूट्स इन कश्मीर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए 27 साल पुराने केस के बारे में गवाहों कहां से लाए जाएंगे। इन चैंबर्स में इसकी सुनवाई करते हुए उन्होंने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
इतने सालों से कहां थे
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में साल 1989-90 में करीब 215 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी। रूट्स इन कश्मीर संस्था ने इस मामले की दोबारा जांच कराने की मांग की थी। इस मामले पर उस समय के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछा था, आप इतने सालों से कहां थे? अब इतने सालों बाद इन मामलों में सबूत कैसे मिलेंगे? इतने सालों पहले हुई घटना की जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं।
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सिख दंगे का हवाला
यहां बता दें कि अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए रूट्स इन कश्मीर संस्था ने कहा कि जब 1984 में हुए सिख दंगे की दोबारा एसआईटी जांच के आदेश दिए जा सकते हैं तो इस मामले में क्यों नहीं? संस्था की तरफ से कहा गया कि संस्था से जुड़े लोग अपनी जान बचा कर भागे थे, लंबे समय तक अपने आप को दोबारा खड़ा करने के लिए संघर्ष करते रहे। हालांकि, बेंच ने इस दलील को मानने से मना कर दिया और मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और डी वाई चंद्रचूड़ ने इसे खारिज कर दिया।