नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा (NOTA) के इस्तेमाल नहीं हो सकेगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इस दौरान पीठ ने साफ किया कि राज्यसभा चुनावों को छोड़कर अन्य चुनावों में नोटा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने राज्यसभा चुनाव में नोटा का विकल्प निरस्त कर दिया है।
NOTA के विकल्प का हुआ था विरोध
बता दें कि गत वर्ष गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता शैलेश परमार ने एक याचिका दाखिल कर NOTA का विकल्प रखने का विरोध किया था। उस दौरान तो कोर्ट ने उनकी याचिका के अनुसार विकल्प पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में अपना अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटा सिर्फ प्रत्यक्ष यानी डाइरेक्ट इलेक्शन में हो सकता है।
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आयोग की अधिसूचना पर उठे थे सवाल
असल में इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की उस अधिसूचना पर सवाल उठाए थे, जिसमें राज्यसभा चुनावों के लिए बैलट पेपर में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) की अनुमति दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नोटा की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि प्रत्यक्ष चुनावों में कोई व्यक्ति वोटर के तौर पर इस विकल्प का इस्तेमाल कर सके।
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कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
कोर्ट ने पिछले साल हुए राज्यसभा चुनावों के दौरान गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रहे शैलेश मनुभाई परमार की अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कांग्रेस ने इस राज्यसभा चुनाव में मौजूदा सांसद अहमद पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया था। परमार ने चुनाव आयोग की अधिसूचना में बैलट पेपरों में नोटा का विकल्प देने को चुनौती दी थी। उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि किसी असंवैधानिक कृत्य में एक संवैधानिक न्यायालय पक्ष क्यों बने। यदि कोई व्यक्ति वोट नहीं डालता है तो उसे पार्टी से निकाला जा सकता है, लेकिन नोटा लाकर आप (चुनाव आयोग) वोट नहीं डालने के कृत्य को वैधता प्रदान कर रहे हैं।
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