Saturday, April 20, 2024

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मोदी सरकार के तीन साल होने पर सुषमा स्वराज ने रखा अपने मंत्रालय का लेखा-जोखा- कहा- आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं

अंग्वाल न्यूज डेस्क
मोदी सरकार के तीन साल होने पर सुषमा स्वराज ने रखा अपने मंत्रालय का लेखा-जोखा- कहा- आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं

नई दिल्ली । मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को अपने मंत्रालय का लेखा-जोखा पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने विदेश में मुसीबतों में फंसे 80 हजार भारतीयों को बचाया। हमारी सरकार के साहसिक फैसलों के चलते हमारे देश और हमारे पीएम की ख्याति विदेशों में लगातार बढ़ रही है। इस दौरान उन्होंने साफ किया कि हम पाकिस्तान के साथ हम गतिरोध को बातचीत के माध्यम से सुलझाना चाहते हैं लेकिन इस बातचीत के लिए हमें किसी की मध्यस्ता स्वीकार नहीं है। इतना ही नहीं विदेश मंत्री ने कहा कि बातचीत और आतंकवाद फिलहाल एक साथ नहीं चल सकती। 

विरोधी देशों से संबंध बनाए

इस दौरान सुषमा स्वराज ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा, हमारे प्रधानमंत्री तो ऐसे नेता हैं जिन्होंने विरोधी देशो के साथ भी संबंध बनाए हैं। सऊदी अरब और ईरान दोनों से हमारे संबंध है जबकि दोनों देश विरोधी हैं। वहीं फिलिस्तीन और इजरायल दोनों देशों से हमारे संबंध है जबकि ये दोनों देश बी एक दूसरे के विरोधी हैं। ”

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अमेरिकी वीजा बरकरार

उन्होंने कहा कि भारत- अमेरिका से पारस्परिक लाभ का रिश्ता मान कर चल रहा है। वर्ष 2004 से 65 हजार अमेरिकी वीजा बरकरार है। पीएचडी करने वाले 20 हजार छात्रों की संख्या का वीजा भी बरकरार है। बहुत से मुद्दे ऐसे है जिनको बिना कांग्रेस की मंजूरी के बिना पास नही किया जा सकता। हम अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों के संपर्क में है कि कभी कोई ऐसा संशोधन न हो जाये जो भारत के हितों को नुकसान हो।

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पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर दबाव में नहीं


इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किसी के दवाब में आकर नहीं किए हैं। इस मुद्दे को लेकर हस्ताक्षर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। आज भी लोग गाव में पीपल को सींचते हैं नदियों को पूजते हैं। 

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चीन पर  कटाक्ष- फ्रांस भी तो नॉन एनपीटी देश था 

इस दौरान उन्होंने एनटीपी पर चीन के रुख को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने कहा- चीन कहता है कि हमारा विरोध भारत के खिलाफ नहीं है बल्कि नॉन एनपीटी देशो के खिलाफ है। अगर यह बात सही है तो जब फ्रांस को शामिल किया गया तो वो भी नॉन एनपीटी देश था। इसलिए हम कहते हैं कि एनपीटी की जगह हमारी भावना और इतिहास देखें. हम चीन के मित्र देशों के साथ इस पर सम्पर्क में हैं. ताकि वे चीन को बताए कि भारत की भूमिका हमेशा सही रहती है। 

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