नई दिल्ली । भारत-बांग्लादेश के बीच श्रीलंका में आयोजित निदहास ट्रॉफी के फाइनल मैच में जो कुछ हुआ वह लम्हा दिनेश कार्तिक के लिए कभी न भूलने वाला एक सुखद पल बन गया, लेकिन नवोदित ऑलराउंडर विजय शंकर के साथ जो हुआ, वह भी उसे खराब लम्हों को शायद ही कभी भुला पाएं। मैच के 18वें ओवर में मुस्ताफिजुर रहमान की गेंद को अपने बल्ले से छू न पाने के चलते आलोचनाओं के घेरे में आए विजय शंकर ने मैच खत्म होने के बाद अपने आप को होटल के कमरे में बंद कर लिया था। फाइनल में 17 गेंदों में महज 19 रन बनाने वाले विजय शंकर अपनी खराब बल्लेबाजी के चलते इतने दुखी थे कि घंटों कमरे में खुद को बंद रखा। हालांकि बाद में दिनेश कार्तिक के कहने पर ही उन्होंने कमरे का दरवाजा खोला और उन्हें गले लगा लिया।
असल में निदहास ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में दिनेश कार्तिक के ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजे गए विजय शंकर बांग्लादेशी गेंदबाजों के जाल में फंस गए। वह 18वें ओवर की शुरुआती 4 गेंदों को बल्ले से भी नहीं छू पाए। इससे पहले भी बांग्लादेशी गेंदबाजों ने अंतिम ओवरों में उन्हें अपने जाल में फंसाए रखा और रन नहीं बनाने दिए थे, जिसके चलते अंतिम 12 गेंदों पर भारत को जीत के लिए 34 रन का लक्ष्य बनाना था, हालांकि आठ गेंदों में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करके 29 रन बनाने वाले कार्तिक ने अपनी टीम को आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर जीत जिलाई, जबकि अंतिम गेंद पर जीत के लिए 5 रन चाहिए थे।
इस मैच में भारत को एक ऐतिहासिक जीत तो मिली लेकिन मैच के बाद विजय शंकर ने अपने खराब खेल के चलते खुद को होटल के कमरे में बंद कर लिया। कई खिलाड़ियों ने उन्हें कमरे के बाहर से समझाया और कमरे से बाहर आने के लिए कहा लेकिन वह नहीं मानें लेकिन जब दिनेश कार्तिक ने उन्हें कमरे से बाहर आने को कहा, तब जाकर वह कमरे से बाहर आए ।
कमरे से निकलते ही उन्होंने दिनेश कार्तिक को गले लगा लिया।उन्होंने कहा- वह लगातार सोचते रहे कि अगर दिनेश कार्तिक ने वह छक्का न मारा होता और हम हार गए होते, तो क्या हुआ होता। मैंने इतने डॉट बॉल न खेले होते, तो हम आसानी से जीत गए होते। मैं मैच जीतने के लिए उनका आभारी हूं, लेकिन बहुत दुखी भी कि मैंने अपने बल्ले से मैच जीतने का अच्छा मौका गंवा दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हार के बावजूद मैं बहुत परेशान था और होटल पहुंचते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया.' लेकिन वो दिनेश कार्तिक ही थे, जिन्होंने नॉक कर कमरा खुलवाया और मेरा हौसला बढ़ाया और धर्य रखने की सलाह दी।