कोलकाता। बंगाल के नाम का जिक्र होते ही रसगुल्ला का ध्यान आता है। क्या आपको पता है कि इसी रसगुल्ले की आधिकारिक मान्यता के लिए ओडिशा से इसकी लड़ाई चल रही थी। 2 सालों तक चली लड़ाई को आखिरकार पश्चिम बंगाल ने जीत लिया और उसे जी आई स्टेटस मिल गया। दरअसल रसगुल्ले की शुरुआत को लेकर दोनों राज्यों में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विट कर इस पर खुशी जाहिर की है।
बंगाल की दलील
गौरतलब है कि ओडिशा का कहना है कि रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ देवी लक्ष्मी को छोड़कर अकेले ही चले गए थे इस पर वे नाराज हो गईं। इस पर जगन्नाथ ने उन्हें रसगुल्ला खिलाकर उनकी नाराजगी दूर की थी। वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल का कहना है कि रसगुल्ला तो फटे हुए दूध से बनाया जाता है जिसे अपवित्र माना जाता है। ऐसे में यह भगवान द्वारा देवी को कैसे दिया जा सकता है।
ये भी पढ़ें - नए साल पर एचडीएफसी बैंक देगा ग्राहकों को बड़ा तोहफा, मोबाइल वाॅलेट के जरिए भी खोल सकेंगे बचत खाता
सीएम ने भी जताई खुशी
आपको बता दें कि रसगुल्ले की इस लड़ाई में आखिरकार बंगाल को जीत हासिल हुई और उसे जी आई (ज्योग्राफिकल इंडीकेशन) स्टेटस मिल गया। इसका मतलब यह हुआ कि अब रसगुल्ला आधिकारिक तौर पर बंगाली डिश हो गई है, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्विट कर इस पर खुशी जाहिर की है। यहां बता दें कि जीआई टैग का मतलब होता है कि पंजीकृत और अधिकृत लोग ही प्रोडक्ट का नाम इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों राज्यों के बीच यह जंग सितंबर 2015 में शुरू हुई थी। तब ओडिशा सरकार ने ‘उल्टो रथ’ त्योहार पर ‘रसगुल्ला दिवस’ या मनाना शुरू कर दिया था।