नई दिल्ली। सरकारी विभाग से जुड़ी हुई एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसे पढ़कर आप भी हैरान रह जाएंगे । रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि दुनिया भर की सभी सरकारें अपने पास साइबर ग्रुप रखती हैं, जो सोशल मीडिया वेबसाइट जैसे फेसबुक,ट्विटर आदि का इस्तेमाल करके पब्लिक का ओपिनियन बनाने और गलत जानकारी फैलाने का काम करती हैं। ये रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की तरफ से तैयार की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकारें यह सब राजनीति को प्रभावित करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि 29 देश, घरेलू स्तर पर या बाहरी देश के लोगों के बीच ओपिनियन को तैयार करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये रणनीति तानाशाही सरकारों के साथ-साथ लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकारों के द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है।
ऑक्सफोर्ड के कम्प्यूटेशनल प्रोपेगेंडा रिसर्च प्रोजेक्ट की लीडर ऑथर और शोधकर्ता सामन्था ब्रेडशॉ का मानना है कि सोशल मीडिया प्रोपेगेंडा कैंपेन को पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत और संभव बनाती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि लोग ये जानते होंगे कि कितनी सरकारें उन तक पहुंचने के लिए इन साधनों का उपयोग करती हैं। इसे बहुत हद तक छिपाया जाता है।
सरकारों के सहयोग वाले ऑनलाइन ग्रुप की आदतें भिन्न-भिन्न होती हैं, जो फेसबुक में कमेंट करने और ट्विटर पर पोस्ट करने से लेकर व्यक्तिगत रूप से एक-एक व्यक्ति को टारगेट करने जैसी होती है। इतना ही नहीं यह सरकारों के ग्रुप मैक्सिको और रूस में पत्रकारों तक का शोषण कर चुके हैं।
सरकारें ओरिजनल कंटेंट कहां से बन रही हैं, इसे सामने ना आने देने के लिए फेक अकाउंट्स का सहारा लेती हैं। बता दें सर्बिया में भी फेक अकाउंट बनाकर सरकारों के एजेंडे को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वहीं वियतनाम में भी ऐसे ही ब्लॉगर्स अपनी तरह से खबरों को फैलाने का काम करते हैं।
प्रोपेगेंडा सरकारों द्वारा उपयोग मे लाया जाने वाली यह एक गहरी कला है, जिसे टूल्स और ज्यादा एंडवास बनाते हैं। इन कामों को विशेषज्ञों की मदद से सरकारें पिछले कई सालों से करती आ रही हैं।
इस रिपोर्ट से आशंका जताई जा रही है कि भारत में भी राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया के द्वारा लोगों को गुमराह करने के इस सभी तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं।