नई दिल्ली।आज सावित्रीबाई फुले का जन्मदिन है। दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने उनके 186 वें जन्मदिन पर उनके ऊपर डूडल बनाकर अपनी श्रद्धांजलि दी है। इसमें उन्हें महिलाओं को अपनी साड़ी में समेटते हुए दिखाया गया है। सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली शिक्षिका कहा जाता है। उन्होंने उस वक्त पर महिलाओं के विकास की बात की थी जब अंग्रेजों का राज था।
विरोध के बीच हासिल की शिक्षा
गौरतलब है कि सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा गांव में हुआ था। उनका परिवार गांव का एक रसूखदार किसान परिवार से था। उस वक्त महिलाओं की शिक्षा की आजादी नहीं थी, लेकिन सावित्रीबाई फुले ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई पूरी की। ऐसा कहा जाता है सावित्रीबाई फुले जब स्कूल जाती थीं तो वो अपने साथ एक साड़ी रख लेती थी। इसके पीछे का कारण यह बताया जाता है कि जब वह स्कूल जाती थी तो शिक्षा विरोधी लोग उन पर पत्थर या कीचड़ फेंकते थे। स्क्ूल पहुंचकर वो अपनी साड़ी बदल लेती थी। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद साल 1848 में उन्होंने पहला स्कूल खोला और महिलाओं को शिक्षित किया।
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ
सावित्रीबाई फुले का विवाह महज 9 साल की उम्र में ज्योतिबा फुले से हो गया। जब उनकी शादी हुई तब उनकी कोई शिक्षा नहीं हुई थी। उन दिनों समाज में काफी कुरीतियां फैली हुई थी। इसमें महिलाओं की स्थिति को देखकर ही सावित्रीबाई फुले ने उनकी स्थिति सुधारने का संकल्प किया। सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों के लिए उस वक्त करीब 18 स्कूल खोल दिए। वो भी बिना किसी आर्थिक मदद के, जबकि ऐसा कर पाना लगभग नामुमकिन था। उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर बाल-विवाह, छूआछूत और सतीप्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी काफी काम किया।
सेवा ही रहा धर्म
सावित्रीबाई फुले का अपना कोई बच्चा नहीं था। उन्होंने एक बच्चे को गोद लिया था। बेटे के साथ मिलकर उन्होंने एक अस्पताल भी खोला। इसी अस्पताल में प्लेग के मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें भी बीमारी लग गई और 10 मार्च 1897 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। गूगल के साथ हमारी भी उनको श्रद्धांजलि।