नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के द्वारा हाल ही में सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत 10 एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर डाटा की जांच के अधिकार दिए हैं। अब सरकार धारा 79 को अमल में लाने की तैयारी में जुटी है। इसके तहत सोशल मीडिया और मोबाइल कंपनियों को सरकार के द्वारा मांगी गई जानकारी देनी होगी। अगर सरकार को किसी भी व्यक्ति के मोबाइल संदेश, चैट या फिर सोशल मीडिया पर शेयर की गई जानकारी पर संदेह होता है तो वह सभी मीडिया प्लेटफाॅर्म से इसकी जानकारी मांग सकती है।
गौरतलब है कि पिछले ही दिनों गृह मंत्रालय ने किसी भी शख्स के कंप्यूटर डाटा की जांच का अधिकार 10 एजंेसियों को दे दिया है। सरकार के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत यदि एजेंसियों को किसी भी संस्थान या व्यक्ति पर देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह होता है तो वे उनके कंप्यूटरों में मौजूद सामग्रियों को जांच सकती हैं और उन पर कार्रवाई कर सकती हैं।
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यहां बता दें कि अब सरकार के द्वारा धारा 79 को लागू करने की तैयारी की जा रही है। एक अंग्रेजी अखबार की खबरों के अनुसार, यह धारा देश में इस्तेमाल होने वाले सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लागू होगा। इस अधिनियम के लागू होने के बाद फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, शेयरचैट, गूगल, अमेजॉन और याहू जैसी कंपनियों को सरकार द्वारा पूछे गए किसी मैसेज के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। इसके लिए कंपनियों को एंड टू एंड एंक्रिप्शन तोड़कर मैसेज के बारे में सरकार को पूरी जानकारी देनी होगी।
आपको बता दें कि एंड टू एंड एंक्रिप्शन एक ऐसा ऐसा सुरक्षा कवच होता है जिसके तहत भेजा गया संदेश भेजने वाले और पाने वाले को ही पता होता है लेकिन धारा 79 के तहत गैर कानूनी तरीके से आॅनलाइन देखे जाने वाले कंटेट पर रोक लगाई जा सकेगी। इस अधिनियम के लागू होने के बाद किसी भी मामले पर सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार को 72 घंटों के भीतर जानकारी देनी होगी।