नई दिल्ली। सूचना और तकनीक के क्षेत्र का विकास काफी तेजी से हो रहा है। साइबर क्राइम का दायरा भी उसी रफ्तार से अपने पैर पसार रहा है। दुनियाभर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने के लिए वाई-फाई की सेवा ली जाती है। इसमें डब्लूपीए 2 सर्विस का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। भारत में भी इसी सर्विस का उपयोग किया जाता है। हाल के एक शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस सर्विस पर साइबर अटैक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है।
साइबर अटैक का खतरा
गौरतलब है कि इंटरनेट के इस्तेमाल ने दुनिया के दायरे को छोटा कर दिया है। दुनियाभर में सबसे ज्यादा उपयोग में डब्लूपीए 2 प्रोटोकाॅल ही लाया जाता है। हाल के शोध में इसमें कई तरह की खामियों का पता चला है। KRACK यानि 'Key Reinstallment Attack' के जरिए क्रेडिट कार्ड नंबर, तमाम पासवर्ड, मैसेज, ईमेल और फोटो जैसी निजी जानकारियों को आपके डिवाइस के चुराया जा सकता है। इस कमी के सामने आने से दुनियाभर के वाई-फाई नेटवर्कों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।
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क्या है वाई-फाई की ये खामी
दुनिया में ज्यादातर वाई-फाई नेटवर्क WPA 2 प्रोटोकॉल पर काम करते हैं। भारत में भी इस प्रोटोकॉल पर ही वाई-फाई चलते हैं। यह प्रोटोकॉल मॉडर्न प्रोटेक्टेड वाई-फाई नेटवर्क को सुरक्षित करता है। ताजा खुलासे के अनुसार इसी सिक्योर प्रोटोकॉल में खामी पाई गई है। इस अटैक के निशाने पर वो सभी डिवाइस होते हैं जो वाई फाई से जुड़े रहते हैं। रिसर्चर मैथी वैनहॉफ ने दावा किया है किे इस अटैक के जरिए संवेदनशील जानकारियों को चुराने के अलावा डेटा के साथ छेड़छाड़ करना भी संभव है। आपको बता दें कि इस खामी को लेकर कुछ दिन पहले ही माइक्रोसॉफ्ट ने अपने विंडोज फोन के यूजर्स को सुरक्षित करने के लिए एक पैच भेजा था। उसने कहा है कि जिन यूजर्स ने विंडोज अपडेट और सिक्योरिटी अपडेट ऑन कर रखा है वो उनके डिवाइस अपने आप सुरक्षित हैं।