नई दिल्ली। भारत में सोशल मीडिया के संचालक सावधान हो जाएं। इस प्लेटफाॅर्म के जरिए अफवाह या फिर फर्जी खबरों के फैलने की सूरत में भारत में उसके प्रमुख के ऊपर भी मुकदमा चलाया जाएगा। केंद्र सरकार इस तरह की खबरों पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। बता दें कि पिछले कुछ समय में देश भर में सोशल मीडिया के जरिए फैली खबरों की वजह से हिंसा या फिर भीड़ हिंसा (माॅब लिंचिंग) की कई घटनाएं हुई हैं।
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार ने कहा है कि अगर इन फर्जी खबरों की वजह से देश में कई भी हिंसा या फिर भीड़ हिंसा होती है तो फिर इन कंपनियों के भारत में मौजूद प्रमुख व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज होगा। उसके निदेशकों या मैनेजर को 5 सालों की सजा हो सकती है। गृह सचिव राजीव गौबा ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्री को सौंप दी है। बता दें कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ग्रुप आॅफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
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यहां बता दें कि जीओएम ने इस बात पर सहमति जताई कि माॅब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए ऐसे कदम उठाए जाने की जरूरत है जिससे कि ऐसी खबरों के फैलने पर रोक लगाई जा सके। हालांकि इस मामले में अंतिम फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लेंगे। मंत्रालय समूह की कमेटी ने इस बात पर जोर दिया कि भीड़ हिंसा वाले मामले में जिले के एसपी को शामिल किया जाए जो इस पूरे मामले को देखेगा और दोषी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करेगा।
गौर करने वाली बात है कि फेसबुक, व्हाट्सएप, गूगल और ट्विटर जैसी कंपनियां बार-बार सरकार को अपनी तरफ से इन फर्जी खबरों पर रोक लगाने की बात कर रही हैं लेकिन अभी तक इन कंपनियों ने ऐसा कुछ खास नहीं किया है। हालांकि अब सरकार व्हाट्सएप पर एक्शन लेने के लिए पूरी तरह से अपना मन बना चुकी है।