नई दिल्ली । भले ही दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाती रहती है, लेकिन सरकार के ऐसे प्रयासों को बड़ा झटका लगा है। हाल में जारी हुई एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली के लोगों का मेट्रो और डीटीसी बसों से मन भर गया है। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालने वाले इस रिपोर्ट के अनुसार अब तक मेट्रो में 35 लाख लोग प्रतिदिन यात्रा करते थे, जो आकंड़ा घटकर अब 31.55 रह गया है, यानि दिल्ली में करीब 3.45 लाख लोगों ने मेट्रो से अपना मुंह मोड़ लिया है। वहीं डीटीसी बसों को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 1.5 लाख यात्रियों ने प्रतिदिन डीटीसी बसों में जाना बंद कर दिया है। इस सब का असर दिल्ली में निजी वाहनों की बढ़ती संख्या के रूप में दिख रहा है।
ये भी पढ़ें- विवादास्पद राधेमां थाने में एसएचओ की कुर्सी पर जा बैठी, एसएचओ संजय शर्मा को लाइन हाजिर किया गया
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले सिर्फ 45 फीसदी ही रह जाएंगे, जो आंकड़ा अभी 51.6 का है। इस सब के बीच रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि आने वाले समय में अगर सार्वजनिक परिवहन में सुधार नहीं लाया गया तो गैस चैंबर बन चुकी दिल्ली में हालात रहने लायक नहीं रह जाएंगे।
असल में स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर की एक रिपोर्ट ने दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन की खराब होती स्थिति से रूबरू करवाया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस समय दिल्ली में अपने निजी वाहनों से जाने वाले लोगों का आंकड़ा 48.4 फीसदी है, जो धीरे-धीरे बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले यात्री भी अब अपने वाहनों से अपने गंतव्य की ओर जाने लगे हैं। आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल करीब 1.5 लोगों ने प्रतिदिन डीटीसी बसों में यात्रा करना बंद कर दिया है। वहीं बात दिल्ली मेट्रो की करें तो वहां भी आंकड़े निराशाजनक हैं। जहां पिछले साल तक 35 लाख लोग प्रतिदिन मेट्रो में सफर करते थे, वहीं इस साल यह आंकड़ा गिरकर 31.55 लाख लोग प्रतिदिन रह गया है।
ये भी पढ़ें- मोदी जी मैं शल्य नहीं भीष्म हूं, अर्थव्यवस्था का चीरहरण नहीं होने दूंगा - यशवंत सिन्हा
ऐसे में साफ है कि दिल्लीवासियों ने मेट्रो और डीटीसी से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है। हाल में दिल्ली में बढ़े टैक्सी कल्चर के चलते भी लोग मेट्रो और बसों की भीड़ से बचने के लिए ऑनलाइन ट्रैक्सी को तरजीह देने लगे हैं। मेट्रो के बढ़ते किराये और गिरती सुविधाओं के चलते भी कई लोगों ने मेट्रो के सफर से अपना मुंह मोड़ा है। वहीं डीटीसी बसों की जर्जर हालात और गर्मी के दिनों में एसी बसों के एसी नहीं चलने जैसी घटनाओं और कभी भी खराब होकर बीच सड़क में खड़ी हो जाने की स्थिति ने लोगों को बसों में सफर करने की सोच से दूर कर दिया है।
इन सब आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद इस रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि मेट्रो के किराये बढ़ाए जाने के बाद से यात्रियों की संख्या में गिरावट आई है। वहीं व्यस्त समय में मेट्रो स्टेशनों पर लगने वाली 'जानलेवा' भीड़ भी लोगों के मेट्रो से यात्रियों के दूर होने की वजह है। रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि इस समय 48.4 फीसदी लोग अपने वाहनों से चल रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो यह आकंड़ा आने वाले सालों में 55 फीसदी तक पहुंच जाएगा। दिल्ली में टैक्सी पॉलिसी में सुरक्षा कारणों से कुछ बदलाव हो रहे हैं, जैसे शेयरिंग का विकल्प। ऐसा होने पर अब लोग अपने वाहनों से ही सड़क पर उतरेंगे।
ये भी पढ़ें- भाजपा सांसद बोले- हां ठेका दिलाने की एवज में ठेकेदारों से 10 फीसदी रिश्वत लेते हैं हमारे कई मंत्री