भोपाल । देश के शिक्षण संस्थानों में कहीं वंदे मातरम गाने को अनिवार्य किया जा रहा है तो कहीं छात्रों द्वारा जय हिंद बोलना। कुछ जगहों पर सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा दिए जा रहे ऐसे आदेशों को सुनिश्चित करने के लिए बाकायदा लोग तैनात कर दिए गए हैं, लेकिन क्या इन स्कूली छात्रों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी कोई सरकार सजग है। हाल में मध्यप्रदेश शिक्षा मंत्रालय ने विद्यार्थियों को 'जय हिंद' कहने के लिए एक आदेश जारी किया है, जबकि राज्य के चतरपुर जिला में आलम ये है कि स्कूल भवन के अभाव में बच्चों को सड़क पर खुले में पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐसे में क्या सर्दी, क्या गर्मी और क्या बरसात। पढ़ने के लिए इन बच्चों को सड़क किनारे बैठाकर ही पढ़ाई करवाई जा रही है।
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अब भले ही शिक्षा मंत्रालय अपने यहां स्कूली शिक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करते हों, लेकिन सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। कई जगहों पर तो छात्र सड़क पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं, जबकि राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार होने से डबल इंजन की 'ट्रेन' है। बावजूद इसके जिले के उन चार स्कूलों में से एक, बागराज स्कूल भी उन स्कूलों में शामिल है, जिसकी कक्षाएं सड़क पर आयोजित होती हैं। इस स्कूल के छात्रों का कहना है कि वह पिछले तीन सालों से स्कूल की इमारत का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनका इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। स्कूल के बच्चों का कहना है कि सड़क पर बैठकर पढ़ने से हमेशा किसी दुर्घटना का डर बना रहता है।
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वहीं स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि हालात खराब है, किसी से कह भी नहीं सकते। मौसम के अनुसार, कक्षाएं लगती हैं, गर्मी और बरसात के दिनों में तो सब कुछ मौसम पर निर्भर रहता है। उसी के अनुसार कक्षाएं लगती हैं। मिड डे मील के बारे में पूछ जाने पर भी बच्चे कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से भोजन भी नहीं मिल रहा है। आखिर हम किसमें खाएंगे, खाने के लिए हमें अपने घरों से अपने बर्तन लेकर आने होते हैं।
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इस सब के बीच शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सरकार काफी सजग है। हालांकि हाल ये है कि शिक्षा मंत्रालय जय हिंद बोलने का तो आदेश जारी कर देता है, लेकिन यह नहीं देखता कि आखिर उनके राज्य के नौनिहाल आखिर किन हालातों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।