नई दिल्ली। भारत के इतिहास में 22 अगस्त साल 2017 का दिन ऐतिहासिक दिनों की सूची में शामिल हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिन इस्लाम में तीन तलाक के कानून को असंवैधानिक करार दिया। साथ ही क्रेंद सरकार को 6 महीने के अंदर संसद में इसको लेकर नया कानून बनाने को कहा है। इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को एक बड़ी राहत मिली है। सोशल मीडिया पर भारी मात्रा में मुस्लिम महिलाओं ने पीएम मोदी की कोशिश और कोर्ट के फैसले का स्वागत कर अपनी खुशी जाहिर की है। वहीं इस मुद्दे पर अभी भी कई विचारघारकों के बीच बहस भी छिड़ी हुई है। ऐसे में अब मुस्लिम महिलाओं ने 'खतने' को लेकर भी अपनी आवाज बुलंद की है। 'खतने' को लेकर एक महिला ने पीएम मोदी को ओपन लेटर लिखकर इसे कुप्रथा करार देते हुए इसे बंद करने की अपील की है।
यह भी पढ़े- आम्रपाली ग्रुप पर भड़के भज्जी, बोले- ठेंगा मिला हमें...बेवकूफ बना दिया
आपको बता दें कि मासूमा रानाल्वी नाम की एक महिला ने पीएम मोदी के नाम ओपन लेटर लिखकर इसे इस्लामिक कुप्रथा करार देते हुए इसे बंद कराने की अपील की है। बोहरा समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने पीएम मोदी लेटर लिखकर कहा कि आजादी वाले दिन जब मुस्लिम महिलाओं के दर्द और दुखों का जिक्र लालकिले की प्राचीर से किया था, तो उसे सुनकर-देखकर काफी अच्छा लगा। हम मुस्लिम औरतों को तब तक पूरी आजादी नहीं मिल सकती जब तक हमारा बलात्कार होता रहेगा। हमें संस्कृति, पंरपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा। तीन तलाक एक गुनाह है, लेकिन इस देश की औरतों की सिर्फ यही एक समस्या नहीं हैं।
यह भी पढ़े- पासपोर्ट बनवाना हुआ और आसान, अब पुलिस की जगह आॅनलाइन वेरीफिकेशन जरूरी
मासूमा ने आगे अपने ओपन लेटर में लिखा कि बोहरा समुदाय में सालों से महिलाओँ का खतना या 'खफ्ज' प्रथा का पालन किया जा रहा है। मेरे समुदाय में जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, तो उसकी मां या दादी मां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाकर उसकी यौन इच्छाओं को दबाने की प्रक्रिया को अंजाम देती हैं। इसकी सजा वह मासूम ताउम्र झेलती हैं।
इसके आलावा, मासूमा ने ओपन लेटर में बताया कि इसे रोकने के लिए कुछ महिलाओं का समूह एक 'wespeakout on FMG' के नाम से Change.org पर एक मुहिम की शुरुआत की थी, लेकिन उसके लिए उन्हें समर्थन नहीं मिला। आपकी बातें सुनकर मुझे लगा कि आपको मुस्लिम बहनों की चिंता है इसलिए मैं आप से और आपकी सरकार से अपील करती हूं। इस कुप्रथा का अंत करवाइए। इस प्रथा को बैन करके बोहरा समुदाय की बेटियों को बचाना बहुत जरूरी है।