नई दिल्ली। नोएडा से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले पंकज सिंह के खिलाफ अखिलेश यादव प्रचार नहीं करेंगे। ऐसा नहीं है कि अखिलेश की पंकज से दोस्ती है या उनसे कोई रिश्ता है। दरअसल एक खास कारण की वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे हैं। जी हां, वजह जानकर शायद आप भी हैरान रह जाएंगे। ‘अंधविश्वास और टोटका’। यही वजह है कि वे पंकज के खिलाफ चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं।
पार्टी का टोटका
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह भाजपा के टिकट पर नोएडा से विधानसभा का चुनाव लडेंगे और उत्तरप्रदेश की राजनीति में यह बात काफी प्रचलित है कि जो नेता एक बार नोएडा गया वो दोबारा सत्ता में नहीं लौट पाया। यही वजह है कि उत्तरप्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने साढ़े चार साल के कार्यकाल में एक बार भी नोएडा नहीं गए। वैसे देखा जाए तो राजनीति में अपने प्रतिद्वन्द्विओं के खिलाफ चुनाव प्रचार करने के लिए नेता न जाने कहां-कहां चले जाते हैं। पार्टी अखिलेश यादव को नई सोच वाला मुख्यमंत्री मानती है लेकिन इस नई सोच वाले मुख्यमंत्री सिर्फ जोश ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय गणना में भी विश्वास रखते हैं।
अंधविश्वासी युवा अखिलेश
अखिलेश का ज्योतिष में विश्वास का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे और वे अपने आधिकारिक आवास 5 कालीदास मार्ग पहुंचे थे तो उन्हें मुख्य दरवाजे से न ले जाकर बगल के रास्ते से गए थे। अब वे अपना चुनाव प्रचार भी इसी आधार पर शुरु करने वाले हैं। अखिलेश अपना चुनाव प्रचार 24 जनवरी को सुल्तानपुर से शुरु कर रहे हैं। यहां वे दो जगहों पर चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। आपको बता दें कि सुल्तानपुर लखनऊ के दक्षिण-पूर्व में पड़ता है। 24 जनवरी को मंगलवार है। ऐसे में उसपर दिशाशूल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके बाद 25 जनवरी को अखिलेश लखीमपुर खीरी जाएंगे, जहां उनकी तीन रैलियां होंगी।
नोएडा से जुड़ा अंधविश्वास
नोएडा को लेकर कुछ ऐसे अंधविश्वास जो खासे चर्चा में रहे।
-1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह नोएडा में कालिंदीकुंज का उद्घाटन करने पहुंचे थे, इसके फौरन बाद उनकी सरकार गिर गई थी.
-1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी एक पार्क का उद्घाटन करने नोएडा के सेक्टर-11 गए और तुरंत बाद उनकी सरकार गिर गई।
-1998 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नोएडा के एक कार्यक्रम में पहुंचे और इसके बाद उनकी कुर्सी चली गई।
-2004 में मुलायम सिंह यादव एक स्कूल के उद्घाटन के लिए गए और फिर वे दोबारा कुर्सी पर नहीं लौटे।
-इसके बाद 2011 में मायावती फिर से नोएडा आई, लेकिन इसके बाद हुए चुनाव में उनकी सत्ता चली गई।