आगरा। पिछले दिनों ताजमहल पर दर्ज एक आरटीआई में पूछा गया था कि ताजमहल एक मकबरा है या फिर एक मंदिर। इस आरटीआई के बाद कोर्ट ने भारत सरकार और केंद्रीय पुरात्तव विभाग से जवाब मांगा था । इस जवाब को दाखिल करते हुए पुरात्तव विभाग ने ताजमहल को एक मकबरा बताया है। पुरात्तव विभाग ने ताजमहल के मंदिर होने की बात को सिरे से नकार दिया है। पुरात्तव विभाग ने इस जवाब में ताजमहल के साथ जुड़े मुगल शासक शाहजहां और बेगम मुमताज महल के इतिहास को सही बताया है। आपको बता दें कि केंद्रीय सूचना आयोग ने सवाल खड़ा करते हुए संस्कृति मंत्रालय से इस संदेह को साफ करने के लिए कहा था। सूचना आयोग ने पूछा था कि यह ऐतिहासिक इमारत शाहजहां द्वारा बनवाया हुआ मकबरा है या फिर शिव मंदिर, जिसे राजपूप राजा मान सिंह ने मुगल बादशाह को उपहार में दिया था।
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आपको बता दें, ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने 1628-1658 में अपनी बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इस मामले पर सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्यलु ने कहा है कि मंत्रालय इस मुद्दे पर विवाद खत्म करे और ताजमहल के मकबरे और मंदिर होने के संदेह को दूर करे। आज मंत्रालय ने अपना जवाब दाखिल किया है। हालांकि, जवाब में यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ताजमहल से जुड़े किसी भी मामले की सुनवाई स्थानीय कोर्ट में नहीं हो सकती। जस्टिस अभिषेक सिन्हा मामले की सुनवाई 11 सिंतबर को करेंगे।
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