नई दिल्ली । वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर जहां भाजपा अपने आक्रामक अंदाज में नजर आ रही है, वहीं विपक्षी दल महागठबंधन में शामिल होने और दूसरे दलों को साथ लाने की जुगत में ही लगे नजर आ रहे हैं। इस सब के बीच सभी दल अपने-अपने हितों को साधने में भी जुटे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस एक बार फिर से मुश्किल में नजर आ रही है। असल में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस आलाकमान दलित वोटों को ध्यान में रखते हुए बसपा के साथ गठबंधन करने की जुगत में जुटी है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के रुख से नाराज बसपा अब कांग्रेस के साथ गठबंधन की इच्छुक नहीं है। बसपा ने कांग्रेस के सामने एक शर्त रखते हुए अपने दम पर ही चुनाव लड़ने की रणनीति भी बनानी शुरू कर दी है। इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगना तय है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ कड़वे बोल बोलने वाले बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश सिंह को मायावती ने पार्टी से निकाल दिया है।
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बसपा की शर्त से कांग्रेस परेशान
असल में मध्य प्रदेश , यूपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में दलित वोटों को रिझाने के लिए कांग्रेस , बसपा के साथ गठबंधन करने की इच्छुक है, लेकिन अन्य राज्यों में वह बसपा को साथ नहीं रखना चाहती। इतना ही नहीं राजस्थान के प्रदेश प्रभारी बसपा के साथ गठबंधन को लेकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। इस सब के चलते बसपा ने भी कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गठबंधन की खबरों को लेकर अभी तक कोई ठोस बयान नहीं दिया है। पार्टी की ओर से कुछ कठोर बयान जरूर आए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बसपा ने शर्त रखी है कि या तो वह तीनों की राज्यों में गठबंधन करेगी या तीनों राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। इसके चलते कांग्रेस पशोपेश में है।
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राहुल ने की थी प्रदेश अध्यक्षों संग बैठक
असल में पिछले दिनों बसपा के साथ गठबंधन को लेकर गत शनिवार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजस्थान , मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पार्टी अध्यक्षों के साथ एक बैठक की थी। इस दौरान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नेताओं ने तो बसपा के साथ गठबंधन पर हामी भरी लेकिन राजस्थान के नेता ने इसका विरोध किया। उनका कहना है कि उनके सूबे में बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ना आने वाले समय में भारी पड़ेगा। राजस्थान में एक बार कांग्रेस और एक बार बसपा की सरकार आती रही है। प्रदेश की जनता के इस रुझान के बारे में जानकारी देते हुए राजस्थान प्रभारी ने कहा कि सूबे में बसपा के मतदाता भी काफी कम हैं। ऐसे में उन्हें साथ रखने से लाभ नहीं नुकसान होगा।
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कांग्रेस अध्यक्ष ने मांगी ग्राउंड रिपोर्ट
बहरहाल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की इन नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद उन्होंने इन तीनों राज्यों के नेताओं से आने वाले दिनों में ग्राउंड रिपोर्ट बनाकर सौंपने को कहा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्षों ने तो बसपा के साथ गठबंधन पर हामी भर दी है, लेकिन राजस्थान प्रभारी ने मना कर दिया है। हालांकि इस पूरी कवायद के बीच बसपा की ओर से अभी तक जो संकेत आए हैं, वह कांग्रेस के साथ गठबंधन की खबरों को खारिज करते हैं।
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