नई दिल्ली । भारत के इतिहास में सबसे बड़े पुलवामा आतंकी हमले के बाद लगभग पूरी दुनिया ने इस आतंकी हमले की निंदा की है। अमेरिका-रूस जैसे देशों ने भी इस हमले के लिए जहां पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है, वहीं इस सब के बीच भारत के लिए चिंता का सबब पड़ोसी देश चीन का चुप रहना है। चीन ने भारत में हुए इस आतंकी हमले को लेकर अब तक कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। असल में चीन ही वो देश है जो मुंबई धमाकों के साथ ही अब पुलवामा हमले के साजिशकर्ता आतंकी अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने की राह में अड़ंगे लगाता रहा है। गत सितंबर में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने यह कहते हुए भारत के दावों को नकार दिया है कि सुरक्षा परिषद के सदस्यों में बिना आम सहमति के ही भारत ऐसा करने की कोशिश कर रहा है।
बता दें कि देश में उरी के बाद जैश ए मोहम्मद ने पुलवामा आतंकी हमले की भी जिम्मेदारी ली है, लेकिन चीन जैश के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने की राह में रोड़े अड़ाने से बाज नहीं आता है। पिछले दिनों चीन ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते हुए कहा था कि भारत को अपने पड़ोसी मुल्क से बात करनी चाहिए। जबकि मसूद अजहर को लेकर चीन ने कहा था कि उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है।
असल में चीन पाकिस्तान का मददगार बनते हुए कई बार मसूद अजहर को बचाने के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल कर चुका है । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर वाला देश चीन लगातार भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगा कर मसूद अजहर को बचा रहा है। मसूद अजहर द्वारा बनाए गए जैश-ए-मोहम्मद को पहले आतंकी संगठनों की सूची में डाला जा चुका है। चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर सभी देश एक साथ राय बनाते हैं तो हम इस मुद्दे पर मदद करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिन दो देशों से सीधा जुड़ा मुद्दा है पहले उन्हें इस विमर्श पर एक साथ आना चाहिए। वांग यी ने ये बातें अमेरिका के थिंक टैंक द्वारा आयोजित विदेश संबंधों के सवाल-जबाव के दौरान कहीं थी।