गोरखपुर। योगी राज में अभी अस्पताल में बच्चों की मौत का प्रकरण खत्म भी नहीं हुआ था कि एक और बच्चे की मौत ने गोरखपुर को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। इस बार यहां गुरु शिष्य के रिश्ते को दागदार कर दिया। स्कूली शिक्षिका की सजा से तंग आकर पांचवीं कक्षा के एक छात्र ने जहर खाकर जान दे दी। घर वालों की तलाशी में उसके बैग से सुसाइड नोट मिला है जिसमें उसने अपनी मौत के लिए अपनी क्लास टीचर को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि स्कूल की तरफ से इस तरह की किसी भी घटना से इंकार किया है। नाराज परिजनों ने घंटों तक सड़क जाम कर दिया।
पांचवीं के बच्चे की मौत
गौरतलब है कि गोरखपुर के सेंट एंथोनी स्कूल में पढ़ने वाले पांचवीं के छात्र ने जो नोट लिखा है उसे पढ़कर किसी का भी दिल पसीज जाएगा। घर के इकलौते बेटे के खुदकुशी करने से भड़के परिवार के लोगों ने स्कूल जाकर तोडफोड़ की। पिता की तहरीर पर पुलिस ने क्लास टीचर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। बता दें कि शाहपुर में असुरन चौराहे के पास सेंट एंथोनी स्कूल में पढने वाले पांचवी के छात्र नवनीत प्रकाश (12) ने पांच दिन पहले जाहर खा लिया था। कल देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
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सुसाइड नोट
अपने माता-पिता के नाम लिखे सुसाइड नोट में नवनीत ने लिखा कि ‘उसकी परीक्षा शुरू होने वाली थी और उसकी क्लास टीचर ने उसे काफी देर तक रुलाया और बाहर खड़ा रखा क्योंकि किसी ने उनसे मेरे खिलाफ श्किायत कर दी थी। वो चापलूसों की बात मानती हैं, आप उनकी किसी बात पर विश्वास मत करिएगा पापा कल भी उन्होंने मुझे तीन पीरियड तक खड़ा रखा। आज मैंने सोच लिया है कि मैं मरने वाला हूं। मेरी आखिरी इच्छा है कि मेरी मैडम अब किसी भी बच्चे को इतनी सजा न दें कि वो कहे कि बड़ी सजा है। अलविदा पापा-मम्मी और दीदी।’
मुझसे कभी नहीं की शिकायत
वहीं दूसरी तरफ सेंट एंथोनी स्क्ूल की प्रिंसीपल सिस्टर ईश प्रिया ने बताया कि बच्चे की दिक्कतों को लेकर अभिभावक ने कभी उनसे शिकायत नहीं की। बच्चे का यदि उत्पीडन हो रहा था तो अभिभावक को शिकायत करनी चाहिए थी। बच्चा खुद भी मिलकर बता सकता था। उसके जहरीला पदार्थ खाने के बाद भी विद्यालय को इस बारे में नहीं बताया गया। भीड़ ने आकर तोडफोड़ शुरू की तब हमें इस बारे में पता चला। बच्चे की मौत दुखद है। विद्यालय परिवार इससे बेहद आहत है। वह हमारे परिवार का हिस्सा था। उसके जाने का हमें भी उतना ही दुख है, जितना उसके माता-पिता या परिवार को। दुख की इस घड़ी में हम उनके साथ हैं।