नई दिल्ली । अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर राजनीति दल पल-पल अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। अब बड़ी खबर कांग्रेस के खेमे से आ रही है। सूत्रों के अनुसार, खबरें हैं कि पिछले दिनों अपनी वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार तय करने के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। कांग्रेस ने ऐसे संकेत दिए हैं कि अभी राहुल गांधी को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी समर में उतरने के लिए इंतजार करना पड़ेगा । कांग्रेस किसी दूसरे दल के दिग्गज नेता ( जिसका संघ से किसी प्रकार का कोई संबंध न हो ) को भी पीएम उम्मीदवार के रूप में स्वीकार कर सकती है। ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने ऐसा महागठबंधन के अन्य दलों के रुख को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
राहुल गांधी ने भी दिए संकेत
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बातों के संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में उनकी जगह पीएम पद की उम्मीदवारी के लिए कोई नया चेहरा भी सामने आ सकता है। मंगलवार को महिला पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने भी कांग्रेस की इसी राजनीतिक लाइन को आगे बढ़ाते हुए कहा कि वह किसी भी ऐसे प्रत्याशी का समर्थन करेंगे जो भाजपा -आरएसएस को हराएगा। सूत्रों के मुताबिक जब उनसे पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री पद के लिए मायावती या ममता बनर्जी के नाम का समर्थन करेंगे तो राहुल गांधी ने यह जवाब दिया था।
राहुल अकेले नहीं हैं...
राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार भाजपा से लड़ने के लिए जहां सभी क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन की सोच रही हैं, वहीं इस महागठबंधन के नेतृत्व को लेकर भी अभी कुछ साफ नहीं हो पाया है। मंगलवार को बिहार से राजद नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के पीएम उम्मीदवारी पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि वह अकेले नहीं हैं। इस दौरान , बसपा नेता मायावती और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी के नामों की चर्चा हो रही है। ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि महागठबंधन का नेतृत्व राहुल गांधी के बजाए कोई महिला भी कर सकती है।
कांग्रेस ने बदली रणनीति
असल में विपक्ष के अन्य दलों की रणनीति देखते हुए कांग्रेस को अपना फैसला बदलना पड़ रहा है। हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी में पार्टी ने राहुल गांधी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया , लेकिन अब राजनीति घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। कांग्रेस की ओर से संकेत मिले हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संभावित विपक्षी गठबंधन से किसी महिला उम्मीदवार के लिए दौड़ से हट भी सकते हैं, लेकिन वह शख्स आरएसएस से किसी भी तरह का कोई संबंध न रखता हो।
यह विचारधारा की लड़ाई
एक समय एक दूसरे पर कीचड़ उछालने वाले दल अब आम चुनावों के मद्देनजर भाजपा को परास्त करने के लिए एकजुटे होते नजर आ रहे हैं। विपक्षी दल के नेताओं का कहना है कि इस समय आपसी द्वेष भूलकर हमें विचारधारा की लड़ाई पर ध्यान देना होगा। यह कारण है कि एक समय कट्टर विरोधी रही यूपी मे समाजवादी पार्टी और बसपा एक साथ आकर भाजपा के नेताओं के सामने खड़ी हुई है। इतना ही नहीं आने वाले चुनावों में भी ये कट्टर विरोधी दल गठबंधन करने को तैयार हैं।