लखनऊ। ज्यादा राज्यों के सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों के कार्यालय आने के समय निर्धारित कर दिए गए हैं। इसके बावजूद कर्मचारी अक्सर ही देरी से आते हैं और कारण पूछे जाने पर कोई बहाना बना देते हैं। अगर कोई कर्मचारी रोज ही देरी से दफ्तर आने लगे और जब उससे कारण पूछा जाए तो ऐसा कारण सामने आए कि उस पर गुस्सा करने के बजाय अधिकारी को तरस आ जाए तो आप क्या कहेंगे। ऐसी ही एक घटना यूपी में सामने आई है। अशोक कुमार ने अपने लिखित स्पष्टीकरण में पत्नी की सेवा में लगे रहने को देरी का कारण बताया है।
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के चित्रकूट इलाके के वाणिज्यकर के कार्यालय में आशुलिपिक के पद पर तैनात अशोक कुमार के रोज देरी से कार्यालय पर वाणिज्य कमिश्नर के द्वारा उनसे सवाल पूछा गया कि वे कार्यालय निर्धारित समय 10 बजकर 15 मिनट पर क्यों नहीं आए? इसके लिए उन्होंने कोई जानकारी भी क्यों नहीं दी? ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए? अशोक कुमार से इसका लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया।
यहां बता दें कि आशुलिपिक अशोक कुमार ने जो लिखित स्पष्टीकरण दिया उसके बारे में सुनकर आपको हंसी भी आएगी और थोड़ा तरस भी आएगा। कुमार ने अपने लिखित स्पष्टीकरण में ‘‘साहब पत्नी की तबीयत खराब रहती है। उसके शरीर में दर्द रहता है तो हाथ पैर भी दबाने पड़ते हैं। पत्नी के बीमार रहने की वजह से खाना मुझे ही बनाना पड़ता है। रोटी बनाना सीख रहा हूं। कभी-कभी रोटियां जल जाती हैं। जिसपर पत्नी नाराज होती है। आजकल मैं दलिया बनाकर खा रहा हूं। मेरे इलाके की सड़कों पर बहुत गड्ढे हैं। कभी इनके कारण तो कभी जाम के कारण ऑफिस देरी से पहुंचता हूं।’’
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कर्मचारी के इस स्पष्टीकरण से अधिकारियों ने उनपर गुस्सा करने के बजाय मानवीय रुख अपनाया है। स्पष्टीकरण में कर्मचारी ने कहा कि ‘‘आगे से वह सुबह जल्दी उठकर बीबी की सेवा कर दफ्तर के लिए निकलेगा।’’ आपको बता दें कि उत्तरप्रदेश में देरी से कार्यालय आने वालों की सूची काफी लंबी है लेकिन कई लोगों का यह भी कहना है कि अगर रोजाना देरी से आने वालों को मानवीय मदद मिलती रहेगी तो देश के विकास का काम कैसे होगा!