नई दिल्ली। अपने बूढ़े मां-बाप की देखभाल और सेवा नहीं करना सरकारी कर्मचारियों को महंगा पड़ सकता है। दरअसल असम सरकार इसी साल अक्टूबर महीने से एक ऐसा कानून लाने जा रही है जिसमें सरकारी कर्मचरियों को उनपर आश्रित मां-बाप के साथ शारीरिक रूप से अशक्त भाई-बहन की देखभाल करना अनिवार्य होगा। इस कानून का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों के वेतन से पैसे काट लिए जाएंगे। राज्य के वित्त मंत्री हेमंत विश्व सरमा ने यह जानकारी दी और साथ ही बताया कि इस तरह का कानून लाने वाला असम देश का पहला राज्य होगा।
गौरतलब है कि पत्रकारों से बात करते हुए हेमंत विश्व सरमा ने कहा कि मंत्रिमंडल की ओर से इसी हफ्ते ‘प्रणाम अधिनियम के नियमों को मंजूरी दी है। वित्त मंत्री ने कहा कि जल्द ही प्रणाम आयोग का गठन किया जाएगा और अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा। महात्मा गांधी की जयंति यानी की 2 अक्टूबर से प्रणाम अधिनियम को लागू कर दिया जाएगा।
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यहां बता दें कि असम सरकार ने पिछले साल असम कर्मचारी माता-पिता जिम्मेदारी एवं जवाबेदही तथा निगरानी नियम विधेयक, 2017 या प्रणाम विधेयक को पारित किया था। यह अधिनियम लाने का मकसद राज्य के कर्मचारियों को अपने वृद्ध माता-पिता और और अशक्त भाई-बहनों के प्रति जिम्मेदार बनाना है। ऐसा नहीं करने वाले कर्मचारियों के वेतन से उनकी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा काट कर माता-पिता के खाते में डाल दी जाएगी, वहीं अशक्त भाई-बहनों की देखभाल नहीं करने पर 15 फीसदी वेतन काटा जाएगा।