नई दिल्ली/लखनऊ । देश में शरिया अदालतों के विरोध में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने हिंदू अदालत खोलने का ऐलान किया है। महासभा ने कथित रूप से हिंदू धर्म को खतरे में बताते हुए इस अदालत को न केवल खोला है बल्कि इसकी पहली न्यायाधीश के रूप में अलीगढ़ निवासी डॉक्टर पूजा शकुन पांडे को पहली हिंदू जज भी घोषित कर दिया है ।महासभा का कहना है कि 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे को फांसी दिए जाने के दिन अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में भी हिंदू अदालत की स्थापना कर दी जाएगी। इस महासभा का कह ना है कि जल्द ही देशभर में ऐसी15 अदालतें स्थापित की जाएंगी। हालांकि इससे पहले महासभा ने पीएम और यूपी के सीएम को पत्र लिखकर शरिया अदालतों को बंद करने की मांग की थी, उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं होने पर देश में हिंदू अदालतें खोली जाएंगी।
मेरठ में बनी रणनीति
इस हिंदू अदालत की नींव मेरठ में रखी गई है। मेरठ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने इस बाबत मीडिया को जानकारी दी है। उन्होंने देश की पहली हिंदू अदालत की स्थापना के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर पूजा शकुन पांडे को इसकी पहली न्यायाधीश घोषित किए जाने का ऐलान किया।
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परेशान लोगों को मिलेगा लाभ - महासभा
हिंदू महासभा का कहना है कि हिंदू अदालत का लाभ परेशान लोगों को मिलेगा. जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से की गई उपेक्षा की वजह से भी अदालत गठित करनी पड़ी है।
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क्या लिखा था CM-PM को लिखे पत्र में
असल में हिंदू महासभा ने इस मुद्दे को लेकर पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि भारत में एक ही संविधान माना जा सकता है । देश में खुली शरिया अदालतों को तत्काल प्रभाव से बंद कराया जाए नहीं तो हिंदू महासभा 15 अगस्त को हिंदू अदालत खोल देग। महासभा का कहना है कि पत्र का जवाब नहीं आने पर गत बुधवार को उन्होंने अदालत की स्थापना का ऐलान कर दिया था। इसके बाद सोमवार को इस पहली अदालत की पहली न्यायाधीश के नाम की भी घोषणा कर दी गई।
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हमें किसी की मान्यता की जरूरत नहीं - पूजा शकुन पांडे
इस मामले में अखिल भारतीय हिंदू महासभा द्वारा बनाई गई पहली हिंदू अदालत की न्यायाधीश डॉक्टर पूजा शकुन पांडे का कहना है कि हमारी अदालत को किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है। हमें इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि जैसे देश में बिना मान्यता के अपने ही कानून को आधार बनाकर शरिया अदालतें चलाने वालों को जब किसी की मान्यता की जरूरत नहीं तो हमें भी हिंदू अदालतें चलाने के लिए किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है।
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