नई दिल्ली । दिल्ली में मंगलवार रात सड़क दुर्घटना में सात लाख रुपये की सुपरबाइक' चला रहे हिमांशु वंसल की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि 15 अगस्त की रात आजादी का जश्न मनाने के लिए कुछ सुपरबाइक सवार युवकों ने रेस लगाई। क्नॉट प्लेस से शुरू हुई ये रेस मंडी हाउस पर ही रुक गई क्योंकि हिमांशु सड़क दुर्घटना का शिकार हो चुका था। दुर्घटना के समय उसकी बाइक की स्पीड 150 किमी/घंटा थी, जबकि उसके पिता सुधांशु बंसल ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि उनका बेटा तो 70-80 से ऊपर कभी बाइक चलाता ही नहीं था। वह तो रात में दिल्ली में सफर करने तक से डरता था। इस दौरान उन्होंने बताया कि हिमांशु तो जन्माष्टमी की सजावट के लिए क्नॉट प्लेस से लाइट लेने की बात कहकर घर से निकला था, लेकिन अब वह कभी घर नहीं लौटेगा। उसने खुद सब्जी लाकर अपनी मां को दी थी, अब वह खाना कौन खाएगा। उस दौरान उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल से गुहार लगाई कि वह दिल्ली जैसे शहरों में ये सुपरबाइक पूरी तरह बंद कर दें। साथ ही उन्होंने रोते हुए लोगों से अपने बच्चों को वाहन न ही दिए जाने की अपील की, ताकि उनका बच्चा उनके पास ही रहे।
कैमरे में कैद हुई एक्सीडेंट की पूरी घटना
बता दें कि मंगलवार रात जन्माष्टमी के दिन दिल्ली के मंडी हाउस इलाके में एक सुपरबाइक पर सवार हिमांशु की उस समय मौत हो गई, जब उसकी तेज रफ्तार बाइक दुर्घटनाग्रस्त हो गई। बताया जा रहा है कि एक बुजुर्ग को बचाने के लिए उसने अपनी बाइक को थोड़ा घुमाया तो उसने बाइक पर से संतुलन खो दिया और दुर्घटना का शिकार हो गया। उसे सिर और शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आईं, जिसके चलते उसकी मौत हो गई।
रात 8.40 पर आया बेटे के पांव में चोट का फोन
हिमांशु के पिता का कहना है कि हिमांशु जन्माष्टमी की सजावट में लाइट कम होने पर क्नॉट प्लेस से लाइट लाने की बात कहकर निकला था। जब उन्होंने हिमांशु को कॉल किया तो उसने बताया कि अभी आने में आधा घंटा और लगेगा। इसके बाद करीब 8.40 पर एक पुलिस वाले का फोन आया जिसने बताया कि उसने लड़के के पांव में चोट लगी है आप अस्पताल आ जाओ। हमने अस्पताल जाकर हिमांशु के बारे में पूछा तो उन्होंने पॉलीथीन में लिपटी हिमांशु की लाश की ओर इशारा कर दिया।
रोशनी लेने निकला था हमारी जिंदगी में अंधेरा कर गया
हिमांशु के पिता का कहना कि उनका बेटा काफी संस्कारी था। शाम को वह खुद सब्जी लेकर आया और अपनी मां को खाना बनाने के लिए बोला था। इसके बाद वह मंदिर की सेवा में जुट गया, जहां सजावट के काम में वह काफी देर तक लगा रहा। बस रोशनी थोड़ी कम लग रही थी तो लाइट लेने के लिए वह घर से निकला और अब वह हमारी जिंदगी में अंधेरा कर गया है।
एलजी साहब...बंद करो सुपरबाइक...
उन्होंने कहा कि हिमांशु गया तो मंदिर के लिए रोशनी लेने लेकिन अब वह कभी नहीं लौटेगा। इस दौरान उन्होंने रोते हुए दिल्ली के एलजी से गुहार लगाई कि दिल्ली में ऐसी सुपरबाइक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए। उन्होंने जनता से भी अपील की कि अपने बच्चों को दिल्ली में वाहन चलाने के लिए न ही दें।
अपना जेबखर्च भी दूसरों पर खर्च करता था
अपने बेटे को बार-बार याद कर रोते हुए हिमांशु के पिता कहते हैं कि उनका बेटा तो अपना जेबखर्च भी दूसरों पर खर्च कर देता था। उसने गली के किनारे पर ही कुत्ते के बच्चों के लिए रहने का जुगाड़ किया हुआ था। इतना ही नहीं उन्हें गर्मी से बचाने के लिए उनके लिए कूलर तक लगाया हुआ था। वह तो बस फैक्टरी और मंदिर दो ही जगह रहता था। पिछले तीन सालों से वह मंदिर में सेवा कर करा था।