नई दिल्ली। हिंदी को लेकर अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर आपको अंग्रेजी नहीं आती है तो ऐसा नहीं की आप अपना भविष्य नहीं बन सकते हैं या आप पढ़-लिखकर भी अनपढ़ के बराबार है। हिंदी अब बाजार की भाषा बन गई है। अर्थव्यवस्था के खुले दौर में बाजार जब बहुत सी चीजें तय कर रहा है, तो यह हिंदी को भी विस्तार दे रहा है। भारत में कारोबार करने आ रही अमेरिकी, चाइनीज और यूरोपीय कंपनियों यह बेहतर ढंग से समझ रही हैं। वह मानती हैं कि यदि किसी देश के लोगों को प्रोडक्ट बेचना है, तो पहले उन्हें उनकी भाषा में विश्वास जगना जरूरी है। यह भी हिंदी के प्रसार की बड़ी वजह है। आज से 10-15 वर्षों पहले तक हिंदी पिछड़ेपन की निशानी समझी जाती थी, लेकिन बाजार के बदौलत ही यह बुलंदी की ओर बढ़ रही है।
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यदि भारत के बाहर की बात करें तो यूरोप, अमेरिका और चीन के कई विश्वविद्यालय में आज बाकायदा हिंदी के विभाग खुल गए हैं। दुनिया में 30-40 देशों के लोग हिंदी पढ़ने भारत आ रहे हैं। आज विदेश में अच्छी हिंदी जानने वाले न सिर्फ अपना खुद का उद्यम स्थापित कर सकते हैं, बल्कि अनुवाद, दुभाषिया और पर्यटन क्षेत्र में उनका कारोबार बढ़ रहा है।वहीं हिंदी मीडिया भी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विदेशी भारतीय संस्कृति, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र और हिंदी चित्रकला में रूचि रखते हैं। यह बिना हिंदी के ठीक तरह नहीं समझे जा सकते है। वर्तमान में तो सोशल मीडिया भी हिंदी संवाहक बना हुआ है।