Wednesday, April 24, 2024

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भारत की टॉप 7 IT कंपनियों के कर्मचारियों को लगा झटका, सच जानकर प्रोफेशनल हो रहे हैं परेशान

अंग्वाल न्यूज डेस्क
भारत की टॉप 7 IT कंपनियों के कर्मचारियों को लगा झटका, सच जानकर प्रोफेशनल हो रहे हैं परेशान

नई दिल्ली । अमेरिका जाकर नौकरी करने वाले भारतीय आईटी प्रोफेशनल के लिए पिछले दो साल काफी निराशाजनक रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि आने वाले समय में भी आईटी प्रोफेशनल के लिए समय अनुकूल नहीं रहेगा। अमेरिका के एक शोध संस्थान ने हाल में जारी एक रिपोर्ट में आंकड़े पेश करते हुए दावा किया है कि वर्ष 2015 की तुलना में 2017-18 में भारत की टॉप 7 आईटी कंपनियों को H-1B वीजा मिलने में भारी गिरावट आई है। नेशनल फाउंडेशन ऑफ अमेरिकन पॉलिसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जहां 2015 में भारत की टॉप 7 आईटी कंपनियों के 14, 792 प्रोफेशनल को वीजा आवेदन की मंजूरी मिली थी, उसमें 43 फीसदी की गिरावट के साथ वित्त वर्ष 2017-18 में महज 8,468 नए एच-1बी वीजा के आवेदनों को मंजूरी दी गई। 

क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस कारण

नेशनल फाउंडेशन ऑफ अमेरिकन पॉलिसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले सालों की तुलना में 2017 में आई इस गिरावट का कारण क्लाउड कंप्यूटिंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) है। वॉशिंगटन स्थित इस शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2017 में भारतीय कंपनियों को महज 8,468 नए एच-1 बी वीजा दिए गए। अमेरिका के 16 करोड़ श्रमबल का यह मात्र 0.006 प्रतिशत है।

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TCS को 2017 में 2,312 एच-1 बी वीजा 

US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज से मिले आंकड़ों के आधार पर फाउंडेशन ने कहा कि TCS को 2017 में जहां महज 2,312 एच-1बी वीजा प्राप्त हुए, वहीं  2015 में 4,674 वीजा मिले थे। इस तरह तुलना करने पर उनके कर्मचारियों को वीजा मंजूरी के मामलों में 51 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। अगर बात इन्फोसिस की करें तो उनके 1,218 कर्मचारियों को वीजा मंजूरी मिली, जबकि 2015 में उसे 2,830 वीजा मिले थे। WIPRO को 2017 में 1,210 तो 2015 में 3,079 वीजा मिले थे। 

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डिजिटल सेवाओं की ओर झुकाव


इस पूरे मामले के मद्देनजर फाउंडेशन का कहना है कि भारत की टॉप 7 कंपनियों के कर्मचारियों को मिलने वाले एच-1 बी वीजा में गिरावट का मुख्य कारण  कंपनियों का क्लाउड कंप्यूटिंग और AI जैसी डिजिटल सेवाओं की तरफ झुकाव है। इस तकनीक में कम स्टाफ की जरूरत होती है, जिसके चलते कर्मचारियों को बुलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। इतना ही नहीं इसके अलावा कंपनियों की वीजा पर निर्भरता घटने तथा अमेरिका में घरेलू श्रमबल को मजबूत करने पर ध्यान दिए जाने से भी भारतीय कंपनियों को वीजा मंजूरियों में गिरावट आई। 

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जीवनसाथी को भी वर्क परमिट नहीं 

इस सब के साथ ही अमेरिका की ट्रंप सरकार एच-1बी वीजा धारकों को एक ओर झटका देने की योजना बना रही है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, ट्रंप सरकार H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों के लिए वर्क परमिट को समाप्त करने की नीति बनाने में जुटी है। ट्रंप प्रशासन पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के समय के उस प्रावधान को खत्म करने जा रहा है जिसके तहत H-1B वीजाधारकों के पति/पत्नी को वर्क परमिट जारी हो जाता था। यानी अब पति के पास H-1B वीजा है, तो पत्नी को काम करने की अनुमति नहीं होगी। 

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70,000 से ज्यादा H-4 वीजाहोल्डर्स होंगे प्रभावित 

बता दें कि पूर्व की ओबामा सरकार द्वारा बनाए गए इस नियम को खत्म करने से वर्क परमिट वाले 70,000 से ज्यादा H-4 वीजाहोल्डर्स प्रभावित होंगे। H-4 वीजा उन प्रफेशनल्स के जीवनसाथी को जारी किया जाता है, जो H-1B वीजा पर अमेरिका आते हैं और H-4 वीजा पाने वालों में ज्यादातर भारतीय हैं।

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