नई दिल्ली। साध्वी से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार राम रहीम पर फैसला आते ही करीब डेढ लाख डेरा समर्थक पंचकूला में हिंसा पर उतारू हो गए थे। तैनात पुलिसकर्मी स्थानीय घटना पर काबू न पाने पर वहां से पीठ दिखाकर भाग खड़े हुए थे। परन्तु वहीं मौजूद एक महिला आईएएस अधिकारी ने पंचकूला को जलने और तबाह होने से बचा लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, ये महिला आईएएस हैं गौरी पराशर जोशी , जो पंचकूला में उपायुक्त हैं। पंचकूला में जब हिंसा शुरू हुई तो पुलिस ने समर्थकों का गुस्सा देख पीछे हटना शुरू कर दिया था। ऐसे में गौरी पराशर जोशी ने मोर्चा संभाला और खुद आगे आई। इस महिला अधिकारी ने आंदोलनकारियों को शांत करने की कोशिश की।
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इस दौरान 11 महीने के एक बच्चे को मां गौरी चोटिल हो गई थी, उनके पकड़े थी फट गए थे। पुलिस ने इस महिला अधिकारी को एक पीएसओ के भरोसे अकेले छोड़ दिया था। लेकिन इस स्थिति के बावजूद गौरी अपने ऑफिस गई और स्थिति को संभालने के लिए सेना के अधिकारियों से बातचीत की। इसके बाद सेना ने कार्रवाई की और स्थिति में सुधार आया।
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बता दें कि अगर समय रहते सेना को न बुलाया गया होता तो आंदोलनकारी हिंसक भीड़ पंचकुला के रिहायशी इलाकों में घुस जाते। ऐसी स्थिति में वह आवासीय क्षेत्र में भी हिंसा कर सकते थे और आगजनी जैसी वारदातों को अंजाम दे सकते थे। इस पूरे मामले में स्थानीय निवासियों का कहना है कि डेरा समर्थक जब हिंसा पर ऊतर आए तो सबसे पहले स्थानीय पुलिस वहां से भाग गई।
बहरहाल, गौरी पराशर जोशी इस पूरे मामले में सक्रिय भूमिका निभाने के बाद सुबह 3 बजे घर पहुंची। इससे पहले उन्होंने शहर के हर इलाके में जाकर खुद को आश्वस्त किया कि हिंसा पक पूरी तरह नियंत्रण कर लिया गया है।