भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार के फैसले से होने वाले विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के फैसले को पलट दिया जिसे लेकर एक बार फिर से विवाद होने की संभावना बढ़ गई है। कमलनाथ ने हर महीने की एक तारीख को मंत्रालय में गाए जाने वाले वंदे मातरम को बंद करने का फैसला लिया है। राज्य की शिवराज सरकार ने इस परंपरा की शुरुआत की थी।
गौरतलब है कि इस परंपरा के तहत मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को परिसर में इकट्ठा होकर एकसाथ मिलकर राष्ट्रगीत ‘‘वंदे मातरम’’ गान करते थे। अब नई सरकार ने इस परंपरा को बंद करने का फैसला लिया है। हालांकि वंदे मातरम को लेकर पहले भी सियासत होती रही है। कांग्रेस इस गीत को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है और भाजपा पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाती रहती है।
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यहां बता दें कि इस मुद्दे पर कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि यह गीत किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं हो सकता है लेकिन कांग्रेस ने गीत पर प्रतिबंध लगाकर इसको धर्म से जोड़ दिया। आपको बता दें कि कमलनाथ ने ‘कलेक्टर’ का नाम बदलने के लिए भी सुझाव मांगे थे। खबरों का अनुसार कलेक्टर का नाम बदलकर ‘डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर’ किया जा सकता है। बता दें कि इससे पहले कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकारी कर्मचारियों के संघ की शाखाओं में जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। कांग्रेस के अनुसार सरकारी इमारतों के परिसरों में संघ की शाखाओं का आयोजन नहीं किया जा सकता है।