नई दिल्ली । पिछले कुछ समय में देश के विभिन्न हिस्सों में हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर सरकार को कई बार कटघरे में खड़ा होना पड़ा है। ऐसे में सरकार का कहना है कि देश में बढ़ी इन घटनाओं के पीछे सोशल मीडिया पर फैली अफवाह असल कारण हैं। इससे बचने के लिए सरकार ने इन सोशल मीडिया कंपनियों से संपर्क भी साधा है, लेकिन कंपनियों ने सरकार के अनुसार, अपने प्लेटफॉर्म पर बदलाव करने से मना कर दिया है। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर सरकार वॉट्सऐप, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल ऐप को ब्लॉक कर सकती है। जानकारी के अनुसार, सरकार ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों से इस मामले में तकनीकी जानकारी मांगी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे में आने की सूरत में क्या इन्हें ब्लॉक किया जा सकता है?
व्हाट्सएप -इंस्टा-फेसबुक पर फेल रही अफवाह
असल में पिछले दिनों कुछ मॉब लिंचिंग की घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर जमकर वायरल हुआ। लाखों लोगों ने इन वीडियो को देखा। सरकार का मानना है कि फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के जरिए ही लोग अफवाह फैलाते हैं। इसके चलते ही मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं जन्म लेती हैं। इसके लिए सोशल मीडिया कंपनियों को भी नोटिस दिए गए हैं ।
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सरकार ने मांगी राय
इस मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वाली कंपनियों को सरकार की ओर से भेजे गए नोटिस के बाद इन प्लेटफॉर्म ने भी अपनी गई मजबूरियां गिनाईं हैं। व्हाट्सएप ने मैसेज फॉरवर्ड करने की सुविधा सीमित कर दी है, लेकिन मैसेज के स्त्रोत का पता लगाने की कार्रवाई पर असहमति जताई है । हालांकि सरकार अब इस पर विचार कर रही है कि हालात बिगड़ने पर क्या ऐसे मोबाइल ऐप और सोशल नेटवर्क को ब्लॉक किया जा सकता है। पिछले दिनों दूरसंचार विभाग ने ऑपरेटर्स को पत्र लिखकर आईटी कानून की धारा 69ए के तहत सोशल ऐप्स को ब्लॉक करने पर राय मांगी थी।
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सरकार के पास है अधिकार
बता दें कि आईटी एक्ट (संशोधित) 2008 की धारा 69-ए के तहत सरकार के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी सोशल नेटवर्क को ब्लॉक कर सकती है लेकिन ऐसा उसी हालात में किया जा सकता है जब नेटवर्क पर कोई आपत्तिजनक कंटेंट डाला जाए। अगर किसी कंटेंट से राज्य की सुरक्षा, भारत की संप्रभुता या अखंडता को खतरा है तो सरकार उस कंटेट को ब्लॉक कर सकती है ।
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